भगवान शनिदेव की जयंती 25 मई गुरुवार को इस साल पिता सूर्यदेव के कृतिका नक्षत्र में पड़ रही है। यह अद्भुत संयोग सालों बाद बन रहा है। पिता और पुत्र की पूजा अर्चना एक साथ करने से भक्तों पर कृपा बरसेगी। दिन में सूर्य की आराधना के बाद शाम को शनि की पूजा अर्चना भक्तों के लिए लाभकारी होगी। शनि की ढइया और साढ़े साती का प्रकोप झेल रहे लोगों को इससे मुक्ति मिलेगी। शनि जयंती जेष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस बार यह 25 मई को मनाई जाएगी। इस दिन वट सावित्री पूजन भी किया जाएगा। साथ ही इस दिन नवतपा की भी शुरुआत होगी। इन तीन महत्वपूर्ण संयोग से यह दिन बेहद खास बन गया है। महिलाएं अखंड सुहाग की कामना के साथ 25 मई को वट वृक्ष की पूजा करेंगी। वहीं, भगवान शनिदेव की पूजा भी इसी दिन होगी। इस दिन गृहों और नक्षत्रों के परिवर्तन के साथ ही मौसम में भी परिवर्तन होगा। अमावस्या सूर्योदय से शुरू होगी जबकि सूर्य का रोहिणी प्रवेश 8.15 बजे होगा। इस दिन कृतिका नक्षत्र और वृषभ चंद्रमा रहेगा।
शनि को प्रसन्न करने करें यह उपाय
1. काले कुत्ते को रोटी खिलाएं, शनि स्रोत का पाठ करें।
2. शिवलिंग का दुग्ध अभिषेक करें। कन्या पूजन करें।
3. गरीबों को काली छतरी, काले जूते, काली उड़द, काला कपड़ा दान करें।
4. शनिवार को काले व हरे वस्त्रों का प्रयोग न करें।
5. काले घोड़े की नाल का प्रयोग करें, गरीबों को भोजन कराएं।
इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती रहने के लिए सोलह श्रृंगार कर बरगद की पूजा करें व व्रत रखें। वहीं, जिन कन्याओं की शादी में रुकावट है। वह इस दिन बरगद के पेड़ में कच्चा दूध चढ़ाएं और गीली मिट्टी से माथे पर टीका लगाएं। साथ ही कुंडली में पितृ बाधा निवारण हेतु किसी धर्मस्थल पर पीपल या बरगद का पौधा लगाएं और उसे रोजाना जल से सींचे इससे घर में खुशी बढ़ेगी।
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