लखनऊ. भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार ने अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही की। योगी सरकार ने 107 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप में 12 अधिकारियों को सस्पेंड करते हुए मामले की जांच सतर्कता विभाग को सौंप दी गई है। पंचायती राज विभाग में 107 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला सामने आने के बाद यह कार्रवाई की गई है। इस मामले में सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अनिल कुमार दमेले के अलावा कई अधिकारी फंसे हैं। सरकार ने पूर्व निदेशक IAS अनिल कुमार, अपर निदेशक राजेंद्र सिंह और मुख्य नित्त एवं लेखा अधिकारी केशव सिंह सहित 12 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। इस जांच के दायरे में प्रदेश के 31 जिलों के जिला पंचायत अधिकारों के अलावा कई कर्मचारी हैं।
पंचायती राज्य मंत्री भूपेंद्र सिंह के अनुसार 14वें वित्त आयोग के तहत 2016-17 में पंचायतों को परफॉर्मेंस ग्रांट दिया गया था, यह ग्रांट 699.75 करोड़ रुपए था, जिसमें अनियमितता पाई गई है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद हुई विभागीय जांच में धांधली पाई गई। उन तमाम पंचायतों को यह धनराशि दी गई जिन्होंने इसके मानकों को पूरा नहीं किया था। गांवों का चयन निदेश की अध्यक्षता में गठित 5 सदस्यों की कमेटी करती है। इस कमेटी ने 1798 गांवों का चयन किया था, जिन्हें 699.75 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे।
ये रकम 2 किश्तों में जारी हुइ थी। भूपेंद्र सिंह ने बताया की धांधली की शिकायत मिलने के बाद 26 जुलाई को धनराशि पर रोक लगा दी गई। लेकिन अभी तक इस आवंटित राशि मे से 107 करोड़ रु. खर्च हो चुके हैं। जिन गांवों का चयन किया गया था, उसमे से 1123 गांव मानक पर खरे नहीं उतरें । इस मामले के सामने आने के बाद देवरिया के DPRO एसपी सिंह व सुल्तानपुर के DPRO अरविंद सिंह सहित छह DPRO को निलंबित कर दिया गया है। ये सभी DPRO सुल्तानपुर मे तैनात थे। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी और रकम भी वसूली की जाएगी।
नवीनतम न्यूज़ अपडेट्स के लिए Facebook, Twitter, व Google News पर हमें फॉलो करें और लेटेस्ट वीडियोज के लिए हमारे YouTube चैनल को भी सब्सक्राइब करें।