
साऊथ की कुछ फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखा चुकी अदिति राव हैदरी की बॉलीवुड में एंट्री फिल्म ‘दिल्ली-6’ से हुई थी। उसके बाद ‘राकस्टार’, ‘मर्डर 3’, ‘लंदन, पैरिस न्यूयार्क’, ‘बॉस’ जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुकी अदिति के खाते में भले ही अब तक एक भी बड़ी हिट नहीं है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें लगता है कि बॉलीवुड में उनकी पहचान बन रही है।
पेश हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश :
एक्सपोजर, किस एवं इंटीमेट सीन के बावजूद आपको सैक्सी नहीं माना जाता। क्या कहेंगी?
—मेरे लिए सैक्सुएलिटी बेहद पर्सनल चीज है और उसका इस्तेमाल मैं न तो फिल्में हिट करवाने या सनसनी फैलाने के लिए कर सकती हूं, न ही किसी को अपनी आेर आकर्षित करने की खातिर! कोई भी अभिनेत्री बदन दिखाने जैसा काम बहुत खुशी से और वह भी जान-बूझ कर नहीं करती। कम से कम मैं तो इसके लिए तैयार नहीं हूं।
क्या आप बॉलीवुड के नियमों में बदलाव की हिमायती हैं?
—मेरे चाहने या न चाहने से यहां कुछ बदलाव नहीं होने वाला है। हां, ऐसा जरूर चाहती हूं कि फिल्म जगत में हर किसी को बराबर अवसर मिलनेे चाहिएं। बाहरी लोगों को भी अपने आप को साबित करने का मौका मिलना चाहिए और उसके लिए हमें सही भूमिकाआें की जरूरत है।
आपके खाते में कुछ और भी तो फिल्में हैं?
—जी हां, सुधीर मिश्रा के डायरैक्शन में बन रही ‘और देवदास’ में रिचा चड्ढा, अनुराग कश्यप के साथ अहम रोल में दिखूंगी। आप काफी फिट हैं।
इसका राज क्या है?
—फिटनैस के लिए बहुत ज्यादा कोशिश नहीं करती क्योंकि मैं जिम में जाकर वेट ट्रेङ्क्षनग नहीं करती। केवल योग, इंटरवल ट्रेनिंग और डांस करती हूं। मेरे हिसाब से फिट रहने का तरीका जितना नैचुरल हो, उतना ही अच्छा।
भविष्य को कैसे देखती हैं?
—मुझे भविष्य को लेकर चिंता नहीं है क्योंकि मैं धीरे-धीरे ही सही मजबूती से आगे बढऩा चाहती हूं। बॉलीवुड में पैर जमाने की अपनी कोशिशों के बीच आज भी मैं अपनी पूर्व की नाकामियों से सीखती हूं और सभी तरह के अनुभव लेना चाहती हूं। इसी वजह से पर्दे पर लीड किरदार ही निभाना चाहती हूं।
बॉलीवुड में आपकी पहचान बन रही है, इसका अनुमान आपने कैसे लगाया?
—क्योंकि अब मुझे नामी फिल्मकार और बड़े बैनर भी अपनी फिल्मों का हिस्सा बना रहे हैं। ऐसा तभी संभव होता है, जब उन्हें लगता है कि अमुक कलाकार में कुछ न कुछ बात है। इसकी एक वजह यह भी है कि अब तक मेरी कोई फिल्म सौ करोड़ के क्लब में शामिल नहीं हो पाई है, लेकिन इसके बावजूद मुझे अच्छी फिल्में मिल रही हैं।
आप बॉलीवुड से नहीं हैं। क्या यहां पहचान बनाने में दिक्कतें भी आईं?
—इसमें दो राय नहीं कि बॉलीवुड में बाहरी लोगों को काफी मुश्किलें पेश आती हैं। स्वाभाविक तौर पर मैं भी इसकी अपवाद नहीं बन सकी। शुरूआत में मेरे साथ भी कई तरह की मुश्किलें आईं। दरअसल फिल्म नगरी बहुत ही कठिन जगह है। मैं यहां दिल्ली से आई थी और किसी को नहीं जानती थी। संभव है, उन दिक्कतों की वजह मेरा बॉलीवुड से जुड़ा न होना ही रहा हो।
कभी कास्टिंग काऊच से भी सामना हुआ?
—मुझे कभी एेसा नहीं लगा कि यहां के लोग मेरा फायदा उठाना चाहते हैं। वैसे, कास्टिंग काऊच के बारे में मेरा मानना है कि किसी के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाता है, जैसा उसका खुद का आचरण होता है। आप आकर्षक हैं और अकेली हैं तो जाहिर है कि पुरुष आपको खास नजरिए से देखेंगे। हालांकि मैं इस मामले में भाग्यशाली रही कि मुझे एेसे अनुभव नहीं हुए।
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