
अक्सर महिलाएं पीरियड या माहवारी जैसे विषयों पर बात करने में कतराती हैं । मासिक धर्म को लेकर शर्म की वजह से महिलाएं को कई तरह की बीमारियों से जूझना पड़ता है। Periods से जुड़े तमाम सवाल उनके जहन में दबे रह जाते हैं। आखिर क्यों इस दौरान मंदिर या धार्मिक स्थलों में नहीं जाया जाता ? क्या कारण है कि तब अचार नहीं खाया जाता ? क्यों सबसे दूर रहना पड़ता है ? क्यों इस पर चर्चा नहीं होती? ये विषय जितना जटिल है उतना ही गंभीर भी।
दिल्ली के एक सरकारी स्कूल की कक्षा 9 में महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरभि जाती हैं। सभी उन्हें गुडमॉनिंग विश करके बैठ जाती हैं। डॉ. सुरभि बोर्ड में बड़े अक्षर से लिखती हैं ‘सच्ची सहेली’। और पूछतीं है सच्ची सहेली कौन है। जवाब मिलता है जिससे हम सब बातें कर सकते हैं। सुरभि कहतीं है तो मैं आपकी सच्ची सहेली हूं आप मुझसे दिल खोलकर बातें करना। सुरभि पूछतीं है कि कितनी लड़कियों को Periods होते हैं जिससे क्लास में चुप्पी छा जाती है। दोबारा पूछने पर 15-20 लड़कियां हाथ उठाती हैं। ये पूछने पर की Periods क्यों आते हैं ये बात किसी को पता नहीं थी। क्योंकि Periods ऐसा शब्द है जिस पर कोई चर्चा नहीं करता, कुछ शर्माते है तो कुछ इससे डरते हैं।
डॉ. सुरभि ने फिर उन्हें Periods के बारे में समझाया कि ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। वहीं Menstrupedia Campaign के जरिए लोगों को महामारी के प्रति जागरुक किया जा रहा है। Menstrupedia की वेबसाइट में लगातार हिट्स की बढ़ती संख्या से पता चलता है कि खुद महिलाओं में जानकारी का कितना आभाव है लेकिन वो इस बारे में जानना चाहतीं हैँ।
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