दुनिया भर में आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है। स्टडी के मुताबिक लगभग 80 प्रतिशत लोग सूसाइड यानी आत्महत्या करने से पहले मेंटल केयर एक्सपर्ट से मिलते हैं। एक्सपर्ट्स की राय मानने के बाद जब उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता तो वह सूसाइड करते हैं। इसी बात पर ध्यान देते हुए शोधकर्ताओं ने एक ऐसी मशीन लर्निंग एल्गोरिदम विकसित की है जो दिमाग के एक रीजन यानी एक हिस्से से यह पता लगा लेगी कि इंसान आत्महत्या करने के बारे में सोच रहा है या नहीं। शोधकर्ताओं ने लोगों द्वारा आत्महत्या करने से पहले की जा रही गतिविधियों का विश्लेषण किया है जिसके बाद उन्होंने इस मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को विकसित कर बड़ी MRI मशीन के सॉफ्टवेयर में एम्बैड किया है। यह एल्गोरिदम दिमाग की एक्टिविटी को ट्रैक करेगी और तस्वीर के जरिए कम्पयूटर डिस्प्ले पर रिजल्ट्स शो करेगी इस तकनीक पर टैस्ट करने के बाद 91 प्रतिशत तक सही रिजल्ट्स प्राप्त हुए हैं।
इस टैस्ट के दौरान कुछ इंसानों को मशीन में लेटने के बाद आत्महत्या की बात दिमाग में लाने को कहा गया जिसके बाद मशीन की डिस्प्ले पर दिमाग के उस खास रीजन का रंग बदलता हुआ देखा गया। शोधकर्ताओं की इस टीम को लीड कर रहे डॉ मार्शल ने बताया है कि जाएंट MRI सैशन में 30 मिनट तक इंसान को रखने के बाद इस बात का पता लगाया गया है। इस सिस्टम में अभी फिलहाल टीम मैमबर्स की बजाए किसी भी अनजान व्यक्ति का टैस्ट नहीं किया गया है। इस तकनीक के लिए अभी सुरक्षा मानकों को निर्धारित करना बाकी है ताकि इसका उपयोग किसी भी तरह के गलत काम में ना किया जा सके ।
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