उत्तर-प्रदेश ने अब माना कि राज्य में युवाओं को ड्रग्स के चंगुल में फंसने के खतरे से निपटने के लिए उसके पास पर्याप्त पैसा नहीं है।
सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस की सदस्य अदिति सिंह द्वारा इस संबंध में पूछे गये सवाल के जवाब में आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि विभाग के पास इसके लिए केवल 31 लाख 50 हजार रूपये का ही बजट है और वह भी ड्रग्स से होने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए किये जाने वाले प्रचार पर ही खत्म हो जाता है।
मंत्री ने सदस्यों को ऐसा कोई आश्वासन देने से साफ साफ इंकार कर दिया कि सरकार इस खतरे से युवाओं को बचाने के लिए कोई समेकित रणनीति बनायेगी या सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना करेगी। जय प्रताप सिंह ने कहा ‘हम उन गैर सरकारी संगठनों का समर्थन करते हैं जो राज्य के विभिन्न हिस्सों में नशा मुक्ति केंद्र चलाते हैं। इन केंद्रों को आर्थिक मदद केंद्र सरकार मुहैया कराती है।’
इस पर कांग्रेस की सदस्य ने कहा कि राज्य में युवाओं में नशे की लत तेजी से बढ रही है और सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द कुछ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों के आस पास की दुकानों पर जो गुटका, पान, तंबाकू और सिगरेट तथा ऐसी ही दूसरी नशीली चीजें बेची जा रहीं हैं वह बच्चों और युवाओं को नशे की गर्त में धकेल रहीं हैं। कांग्रेस सदस्य ने उन दुकानदारों के खिलाफ कडी कार्रवाई किये जाने की मांग की। इस बीच संसदीय मामलों के मंत्री सुरेश खन्ना ने भी माना कि बच्चों के लिए अच्छा माहौल तैयार किये जाने की आवश्यकता है।
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