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यूपीएससी की तैयारी के लिए सही दिशानिर्देश की आवश्यकता

आपका उद्देश्य विषय में पास होना और डिग्री लेना नहीं है, बल्कि यूपीएससी परीक्षा में अच्छी रैंक प्राप्त करना होना चाहिए। आपको प्रश्रपत्र का स्वरूप समझने की आवश्यकता है और ये आंकलन करना चाहिए कि आप कितना स्कोर प्राप्त कर पाएंगे।

यूपीएससी की तैयारी के लिए सही दिशानिर्देश की आवश्यकता

आपका उद्देश्य विषय में पास होना और डिग्री लेना नहीं है, बल्कि यूपीएससी परीक्षा में अच्छी रैंक प्राप्त करना होना चाहिए। आपको प्रश्रपत्र का स्वरूप समझने की आवश्यकता है और ये आंकलन करना चाहिए कि आप कितना स्कोर प्राप्त कर पाएंगे। इसके लिए यूपीएससी द्वारा पांच साल में पूछे गए प्रश्रों और प्रश्रपत्रों के प्रारूप देखना पड़ेगा। खास विषय या टॉपिक ही नहीं, बल्कि पूरे टॉपिक को ही समझने की आवश्यकता होती है। आपको अपने विषय की पूरी जानकारी होनी अति आवश्यक है। अवधारणा की स्पष्टता बहुत आवश्यक है। आपकी तार्किक और सोच को बहुत विकसित करने की जरूरत होती है, जिससे जब कोई प्रश्र पूछा जाए तो आप भ्रमित न हो और जो आपसे उत्तर मांगा जाए, उसे आप स्पष्ट रूप से दें। आप जो सोचते हैं, उसको स्पष्ट करना बहुत जरूरी हैं।
बिहार में समस्तीपुर शहर के रहने वाले सुहर्ष भगत ने यूपीएससी परीक्षा में पांचवां स्थान हासिल किया। सुहर्ष ने देवघर के रामकिशन मिशन विद्यापीठ से दसवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद डीपीएस, आरकेपुरम से हायर सेकेंडरी किया। उसके बाद उनका चयन आईआईटी, मुंबई में हो गया। वहां उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की। इसी बीच उन्होंने प्रसाशनिक सेवा में जाने का तय किया और उन्होंने इंजीनियरिंग के चौथे साल से ही यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर ली। जिसमें उनका चयन इंडियन ऑडिट एंड एकाउंट आईएएएस Ó हो गया। लेकिन ट्रेनिंग के दौरान ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उनका सपना आईएएस अधिकारी बनने का था और सन 2015 में उनका यह सपना साकार हुआ।
 यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया पांचवी रैंक हासिल करने के बाद कैसा लगा?
बहुत अच्छा लगा। पांचवे प्रयास में मुझे यह सफलता मिली, हालांकि परीक्षा तो मैंने पहले के प्रयास में ही पास कर ली, लेकिन टॉप रैंक में शामिल होने की विश्वास था। मुझे ऐसा लग रहा कि मैं आसमान में उड़ रहा हंंू। मुझे ये था मेरी बेहतर रैंक आएगी, लेकिन पांचवी रैंक आने की मैंने कभी नहीं उम्मीद नहीं की थी।
आपके मन में आईएएस बनने का बिचार कब आया?
मेरी बचपन से ही एक आदत थी कि जब कोई हमारे घर आता तो मैं उसका व्यवसाय पूछता था। एक दिन मेरे पिता जी के एक दोस्त मेरे घर आए और आदत के मुताबिक मैंने उनसे भी उनका व्यवसाय पूछा। मैं बहुत उत्सुक था, क्योंकि उनके साथ कई लोग रहते थे। मेरे पिता जी ने बताया ये डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हैं। मैंने कहा नहीं, लेकिन तय किया कि मैं भी आईएएस अधिकारी बनूंगा और आईआईटी मुंबई में पढ़ाई करने के दौरान मेने अपने इस सपने को मजबूती दी।
प्राशसिनक सेवा में आने के लिए आपको किस चीज ने प्रेरित किया? हुकुमत या सेवा?
हुकुमत या सेवा में काला सफेद नहीं होता है। बहुत सारे कारणों ने मुझे सिविल सेवा और खासतौर से आईएएस में आने के लिए प्रेरित किया। सबसे अहम  बात तो ये कि ये एक अच्छा कैरियर देता है। इसके साथ ही अपने समाज और देश के लिए कुछ करने का अवसर प्रदान करता है। यही नहीं अच्छे करियर के साथ जीवनभर सीखने की प्रक्रिया आंरभ होती है और ये राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करता है। यही वजह है कि मैं प्राशसानिक सेवा करना चाहता था। प्राइवेट सेक्टर में इस तरह के अवसर आपके पास नहीं होते हैं।
क्या आप अपने परिवार के बारे में और आपकी सफलता उनकी भूमिका के बारे में बताएंगे?
मैं बिहार के समस्तीपुर जिले का हूं। हम दो भाई हैं। मेरे पिता डॉक्टर और मॉ $गृहणी हैं, लेकिन अब तो एक स्कूल चलाती हैं। मेरे पिता जी का नाम डा. शैलेंद्र भगत हैं। समस्तीपुर में उनका क्लीनिक हैं। मेरी कामयाबी में मेरे परिवार ने एक अहम भूमिका निभाई है। मेरे पिता ने शुरूआती दिनों से ही मुझे आईएएस अधिकारी बनने का सुझाव दिया था। ये मेरा पांचवां प्रयास था। इस दौरान मेरे परिवार ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। जब मैंने आई. ए.ए.एस ज्वाइन किया और मैंने ट्रेनिंग के दौरान ही इस्तीफा दे दिया था और मेरे पास कोई नौकरी भी नहीं थी। उस दौरान मेरे परिवार ने मुझे मानसिक और भावनात्मक रूप मेरा हौंसला बढ़ाया। मेरी तैयारी के दौरान मेरे भाई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि वह दिल्ली में डॉक्टर है। मैं उनके पास ही रहकर तैयारी कर रहा था। इस दौरान उन्होंने मुझे बहुत सहयोग किया। इसके अलावा मेरे परिवार का अहम रोल है, मेरी सफलता में। शाायद उनके सहयोग के बिना मैं कभी सफल नहीं हो सकता था।
तैयारी के दौरान आपकी दिनचर्या क्या थी?
ये परीक्षा बहुत लंबी चलती है और इसमें कई चरण होते हैं, जिसमें अलग-अलग तरीके से ध्यान देना पड़ता हैं। मैं सुबह बहुत जल्दी उठने वाला हूं। मैं सुबह 6-6.30 तक उठ जाता या और सात बजे पढऩे बैठ जाता था। मैंने अपने दिन को तीन भागों में बांट रखा था जो कि तीन घंटे का होता था। ये दिनचर्या के हिसाब से तय होता था।
आप यूपीएससी के परीक्षार्थियों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
इस प्रक्रिया में उम्मीदें बरकार रखो। यदि तुम परीक्षा पास करने में सक्षम नहीं हो तो याद रखो कि रास्ते में आने वाली हर विफलता तुम्हें अगले चरण के लिए तैयार करती है। स्वयं में मानसिक शक्ति और भावनात्मक स्थिरता को विकसित करो, तभी तुम एक प्रशासक के रूप में तैयार हो पाओंगे। यदि ये परीक्षा में आप सफल नहीं हो पाते, तो इसका मतलब यह नहीं कि आप एक बेहतर इंसान और जिम्मेदार नागरिक नहीं है। आप भारतीय प्रशासनिक सेवा में न रहकर भी देश के लिए योगदान कर सकते हैं। तो आपसे बस यही कहना चाहूंगा कि आप प्रक्रिया का आनंद लें और परीक्षा से बाहर भी कुछ करने की कोशिश करें। 

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