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अयोध्‍या विवाद में अब सुलह की कोई संभावना नहीं है : पैरोकार इकबाल अंसारी

अयोध्‍या विवाद में अब सुलह की कोई संभावना नहीं है : पैरोकार इकबाल अंसारी

अयोध्‍या विवाद में अब सुलह की कोई संभावना नहीं है :  पैरोकार इकबाल अंसारी

अयोध्‍या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज दोपहर 2 बजे से सुनवाई शुरू करेगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्‍यक्षता वाली तीन सदस्‍यीय बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी। मामले की सुनवाई से पहले सभी पक्षों ने कोर्ट में दस्‍तावेज सौंप दिए गए है। मामले की सुनवाई होने से पहले बाबरी मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी ने कहा हैै कि अब सुलह की कोई संभावना नहीं है, इस मामले में जल्‍द सुनवाई हो, क्‍येांकि अब राजनीति हो रही है। वही दूसरी तरफ अयोध्या श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेन्द्र दास का कहना है कि अयोध्या मसले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में निरंतर होती रहे, जिससे जल्दी से जल्द विवाद का निपटारा हो सके। अयोध्या मसले का हल होने से आपसी विवाद खत्म होगा और देश का विकास होगा। 

काफी महत्‍वूपर्ण है यह सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में होने वाली यह सुनवाई काफी महत्वपूर्ण है, क्‍योंकि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा अन्य की इस दलील को खारिज किया था कि याचिकाओं पर अगले आम चुनावों के बाद सुनवाई हो। इस पीठ ने पिछले साल पांच दिसंबर को स्पष्ट किया था कि वह आठ फरवरी से इन  याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी और उसने पक्षों से इस बीच जरूरी संबंधित कानूनी कागजात सौंपने को कहा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद अपील
30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाइ हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि तीन गुंबदों के ढ़ांचे में बीच का गुंबद हिंदुओं का है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को तीन हिस्सों में विभक्त करके इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने की व्यवस्था दी थी। इसके बाद हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। दूसरी तरफ सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड ने भी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी।

पिछली सुनवाइयों में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय विशेष खंडपीठ ने स्पष्ट किया था कि किसी भी परिस्थिति में स्थगन नहीं दिया जाएगा। विशेष खंडपीठ ने ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई शुरू करने के बारे में सहमति जताई थी।

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