इस साल 8 अक्टूबर को करवा-चौथ है, इस दिन सुहागन अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाने वाला करवाचौथ व्रत चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही समाप्त होता है।
लेकिन इस दिन आखिर क्यों चंद्रमा की पूजा की जाती है, आइये जानते हैं-
चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप है जिसकी उपासना करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान प्रात्प है जिसके पास रूप, शीतलता और प्रेम व प्रसिद्धि है इसलिए सुहागिन स्त्रियां चंद्रमा की पूजा करती हैं जिससे ये सारे गुण उनके पति में भी आ जाए।
चंद्रमा शिव जी की जटा का गहना है इसलिए दीर्घायु का भी प्रतीक है, इसलिए संबंधों की मजबूती तथा पति की दीर्घायु की कामना को लेकर ही व्रत का समापन चंद्र दर्शन के साथ होता है। रूप, शीतलता और प्रेम और लंबी आयु वाले पति की कामना हर लड़की करती है इसलिए भारत में कुंवारी लड़कियां भी अपने अच्छे पति की कामना में ये व्रत रखती हैं।
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