भूलकर भी किन्नरों को ये 5 चीज़ों का दान नहीं करना चाहिए
आमतौर पर सभी सुहागिन महिलाएं अपनी मांग में लाल-मैरून रंग का सिंदूर लगाती हैं। भारतीय समाज में इसे विवाहित की निशानी माना जाता है। हमारे यहां सिंदूर से मांग ना भरना अपशकुन माना जाता है।
हिन्दू धर्म में गुरुवार का व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। गुरुवार के दिन जगतपालक श्री हरि विष्णुजी की पूजा की जाती है। कई लोग बृहस्पतिदेव और केले के पेड़ की भी पूजा करते हैं।
हिन्दी पंचांग के सभी बारह महीनों में श्रावण मास का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि ये शिवजी की भक्ति का महीना है। श्रावण मास को सावन माह भी कहते है। मान्यता है कि जो लोग इस माह में शिवजी की पूजा करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं।
शिव जी की सवारी नन्दी है और गाय हमारी माता है, जो हमें अमृत समान दूध देती है। शिव ने विष पीया था, इसलिए उन्हे अमृत भेंट किया गया। यदि अमृत को बचाये रखना है
श्रावण मास में शिव ने समुद्र मन्थन से उत्पन्न विष को जनकल्याण के लिए ग्रहण किया था, तब इन्द्र ने प्रसन्न होकर शीतलता प्रदान करने के लिए वर्षा ऋतु में वर्षा की थी
सावन के पावन माह की शुरुआत हो चुकी है, ऐसे में भगवान शिव को खुश करने के लिए भक्त क्या-क्या नहीं कर रहे हैं।
सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा की जाती है लिंग सृष्टि का आधार है और शिव विश्व कल्याण के देवता है। वैसे तो शिव जी की पूजा में कोई विशेष नियम की बाध्यता नहीं है।
मां शब्द सुनते ही संसार में शायद ही कोई ऐसा प्राणी हो, जिसके हृदय में कोमल भावनाएं ना उमड़ने लगे। हर व्यक्ति के जीवन में मां ही तो वह एकमात्र अस्तित्व है, जो हर परिस्थिति में संतान को समझने
वेदों में कहा गया है की जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते है, इसलिए स्त्री को पूजनीय माना गया है।
कोई भी हिंदू पूजा बिना चरणामृत के पूरी नहीं होती है। ये ईश्वर की पूजा का अभिन्न हिस्सा है। चरणामृत का मतलब होता है भगवान के चरणों का अमृत, जिसे कि हम पूजा के भोग लगाते समय पाते हैं।
जानिए कैसे हुई मदर्स डे की शुरूआत?
Today Is Mothers Day
महिलाएं दोनों हाथों से क्यों करती हैं चरण स्पर्श
पूजा करते वक्त क्यों ढ़कते हैं हम सिर
आइये जानते है की हर साल माता का वाहन अलग-अलग होता है।