
Sawan 2025: सावन माह का आगमन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक ऐसा समय होता है जब लाखों शिव भक्त भगवान शिव के दर्शन और जलार्पण के लिए देवघर और बासुकीनाथ धाम की ओर रुख करते हैं। इस बार भी, झारखंड सरकार ने सावन में भक्तों की सुगमता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई व्यापक तैयारियों का ऐलान किया है।
सावन की शुरुआत और विशेष महत्त्व
सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है और इसका समापन 9 अगस्त 2025 को होगा। इस दौरान चार सोमवार (14, 21, 28 जुलाई और 4 अगस्त) विशेष रूप से महत्वपूर्ण होंगे, जिनमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु जलार्पण के लिए पहुंचेंगे। यह समय न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक बनता है।
झारखंड सरकार की तैयारियां
सावन के दौरान देवघर और बासुकीनाथ धाम में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, और इस बार झारखंड सरकार ने इन मेलों को सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाने के लिए कई उपाय किए हैं। पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार की अध्यक्षता में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में मेला क्षेत्र की सुरक्षा, स्वच्छता, और बुनियादी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मेले के दौरान श्रद्धालुओं को उच्चतम स्तर की सुविधा और सुरक्षा प्रदान की जाए।
बड़ी भीड़ के लिए सुरक्षा और तकनीकी उपाय
सावन के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बिहार और झारखंड दोनों ही राज्यों ने अत्याधुनिक तकनीकों का सहारा लिया है। देवघर प्रशासन ने कांवड़ यात्रा के लिए सुल्तानगंज से लेकर देवघर तक सभी सुविधाओं का इंतजाम किया है। मेला क्षेत्र में 200 एआई-बेस्ड कैमरे, 700 सामान्य कैमरे, 10 ड्रोन, और छह स्थानों पर एएनपीआर (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन) कैमरे लगाए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, फेस रिकग्निशन और हेड काउंटिंग सिस्टम का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाएं
सावन के दौरान श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मेला क्षेत्र में 24 घंटे पेयजल, शौचालय, स्नानगृह, और कूड़ा प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, गर्मी और उमस से राहत पाने के लिए मिस्ट कूलिंग और इंद्र वर्षा की संख्या को बढ़ाया जाएगा। कांवड़िया पथ पर पांच जर्मन टेंट बनाए जाएंगे, जहां भक्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले सकेंगे।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
श्रावणी मेला न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है। इस दौरान विशेष रूप से चार सोमवारी का संयोग होता है, जिसमें लाखों भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और गंगाजल से अभिषेक करते हैं। इसके साथ ही 'ॐ नमः शिवाय' का 108 बार जाप और शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करते हैं।
स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण
झारखंड सरकार ने मेले के दौरान स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण पर भी खास ध्यान दिया है। ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए साउंड सिस्टम पर रोक लगाई गई है, और केवल मधुर भजनों की अनुमति दी गई है। कूड़ा प्रबंधन के लिए पूरे मेला क्षेत्र में कूड़ेदान और सफाई कर्मियों की तैनाती की जाएगी।
पर्यटन और बुनियादी ढांचे का विकास
सरकार ने देवघर-बासुकीनाथ मार्ग पर फोरलेन सड़क के निर्माण के निर्देश भी दिए हैं ताकि यातायात सुगम हो सके। इसके अलावा मेला क्षेत्र में तोरण द्वार, साज-सज्जा और लाइटिंग की भी व्यवस्था की जाएगी।
सावन 2025 का श्रावणी मेला भक्ति, आस्था, और एकता का अनुपम संगम साबित होगा। झारखंड सरकार की व्यापक तैयारियां और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल श्रद्धालुओं के अनुभव को सुरक्षित, सुगम और स्मरणीय बनाएगा। यह मेला न केवल शिव भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अवसर है, बल्कि झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी प्रदर्शित करेगा।
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