लखनऊ : शिव जी की सवारी नन्दी है और गाय हमारी माता है, जो हमें अमृत समान दूध देती है। शिव ने विष पीया था, इसलिए उन्हे अमृत भेंट किया गया। यदि अमृत को बचाये रखना है तो गाय की रक्षा करनी होगी। गाय की रक्षा तभी हो सकती थी, जब इसके दिव्य पदार्थ दूध को धर्म से जोड़ दिया जाये। इसी कारण भोले बाबा को दूध चढ़ाने की परम्परा शुरू हुयी।
सावन के महीने में कीटाणुओं का अधिक प्रकोप
सावन के महीने में कीटाणुओं का अधिक प्रकोप रहता है। वर्षा के कारण अधिकतर कीटाणु जानवरों की चरने वाली घास के अग्र भाग पर आ जाते है। वर्षा ऋतु की घास को चरने के कारण विषैले तत्व सीधे जानवरों के पेट में चले जाते है जिससे जानवरों का रक्त दूषित हो जाता है। रक्त से ही दूध का निर्माण होता है, इसलिए दूध भी दूषित होकर हमें प्राप्त होता। दूषित दूध को सेंवन करने पर हमारा स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। अतः हम वर्षा ऋतु के दूध का सेंवन न करके भगवान शिव को चढ़ा देते है।
सावन के सोमवार का महत्व श्रावण मास में आशुतोष भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति सावन में प्रतिदिन पूजा नहीं कर सकते है, उन्हे सोमवार के दिन शिव पूजा और व्रत रखना चाहिए। सावन में पार्थिव शिव पूजा का विशेष महत्व बतलाया गया है।
श्रावण मास में जितने सोमवार श्रावण मास में जितने सोमवार पड़ते है, उन सब में यदि व्रत रखकर विधिवत पूजन किया तो मनोकामनायें पूर्ण हो सकती है। सावन के मास में सोमवार को इतना खास क्यों बताया गया है ?
सोमवार का अंक 2 होता है
सोमवार का अंक 2 होता है जो चन्द्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। चन्द्रमा मन का संकेतक है और वह भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान है। शायद इसलिए भोले नाथ इतने सरल व शान्त दिखते है। सावन में प्रेेम प्रफुल्लित होकर अपना काम रूप धारण कर लेता है। इसी मास में सबसे ज्यादा संक्रमण होने की भी आशंका रहती है। कहा जाता है कि जैसा रहेगा तन वैसा रहेगा मन।
संक्रमण से ग्रसित यदि आप संक्रमण से ग्रसित हो जायेगा तो आपका मन भी अस्वस्थ्य रहेगा और आप सावन के अद्भुत प्रेम से वंचित रह जायेगा। सोमवार को भोले बाबा का विधवित जल से अभिषेक कर पूजन करने पर चन्द्रमा बलवान होकर मन को उर्जावान बना देगा। लड़कियॉ सोलह सोमवारों का व्रत रखकर प्रेम करने वाले पति की कामना करती है, इसके पीछे भी चन्द्रमा ही कारक है क्योंकि चन्द्रमा मन का संकेतक है। सच्चा प्रेम मन से ही किया जाता है तन से नहीं।
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