लखनऊ : श्रावण मास में शिव ने समुद्र मन्थन से उत्पन्न विष को जनकल्याण के लिए ग्रहण किया था, तब इन्द्र ने प्रसन्न होकर शीतलता प्रदान करने के लिए वर्षा ऋतु में वर्षा की थी, इसी कारण श्रावण मास में शिव जी को जल अर्पित करने की परम्परा शुरू हुयी।
शिव की पार्थिव शिवलिंग से कार्य होंगे सिद्धि यदि आपको किसी भी प्रकार का भय लगता है तो आप दूर्वा को पीस कर शिवलिंग बनायें और उसकी विधिवित पूजा करें। इस उपाय से प्रत्येक प्रकार का भय समाप्त हो जायेगा। यदि आपके सन्तान नहीं हो रही है, तो बॉस के अंकुर से शिवलिंग तैयार करें और उसकी विधिवत पूजा करें। कुछ समय बाद सन्तान की प्राप्ति होगी। यदि आपके पास धन टिकता नहीं या फिर आता ही नहीं तो आप दही कठोर हो जाने पर उसकी शिवलिंग बनायें और उसकर विधिवत पूजन व अर्चन करें। ऐसा करने से आपकी आर्थिक समस्या ठीक हो जायेगी एंव धन भी टिकने लगेगा। यदि आप परिवार में आपसी प्रेम एंव सुख व शान्ति चाहते है तो आप चीनी से बने शिवलिंग की पूजा करें। लाभ अवश्य मिलेगा। किसान वर्ग गुड़ में अन्न चिपकाकर शिवलिंग तैयार करे उसकी विधिवत पूजा करने से कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी एंव समृद्धि आयेगी। यदि किसी को काफी समय से रोग है और ठीक नहीं हो रहा है तो आप मिश्री से बनें शिवलिंग के सामने रूष्द्राष्टक का पाठ करें एंव विधिवत पूजन व अर्चन करें। ऐसा करने पर कुछ ही समय में लाभ दिखने लगेगा। यदि आप शत्रुओं व विरोधियों से अधिक परेशान है तो लहसुनिया से बने शिवलिंग की पूजन करें। इस उपाय को करने से आपके शत्रुओं का शमन होगा। आयु वृद्धि के लिए कस्तूरी व चन्दन से बने शिवलिंग का पूजन करने से लाभ मिलता है। यदि किसी कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा है तो मोती व नवनीत वृक्ष के पत्ते से बने शिवलिंग कर पूजन करने से विवाह में आने वाली बाधा शीघ्र ही दूर हो जाती है और सम्पन्न परिवार में शादी होती है।
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