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कृषि वैज्ञानिक बनकर संवारें भविष्य

भारत विश्व के प्रमुख कृषि प्रधान देशों में से एक है। देश के आर्थिक विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि विज्ञान-आधारित, उच्च-प्रौद्योगिकीय क्षेत्र है तथा इससे संबंधित रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं।

कृषि वैज्ञानिक बनकर संवारें भविष्य

भारत  विश्व के प्रमुख कृषि प्रधान देशों में से एक है। देश के आर्थिक विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि विज्ञान-आधारित, उच्च-प्रौद्योगिकीय क्षेत्र है तथा इससे संबंधित रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। ये हैं - पशु और पादप शोधकर्ता, खाद्य वैज्ञानिक, वस्तु ब्रोकर, पोषणविद, कृषि पत्रकार, बैंकर्स, बाजार विश्लेषक, बिी व्यावसायिक, खाद्य संसाधक, वन प्रबंधक, वन्यजीव विशेषज्ञ आदि। कृषि अनुसंधान और शिक्षा कृषि विश्वविद्यालयों, संस्थानों तथा कृषि शिक्षा और पशुचिकित्सा विज्ञान महाविद्यालयों द्वारा संचालित की जाती है।
कृषि विज्ञान एक व्यापक बहुविषयक क्षेत्र है, जिसमें प्राकृतिक, आर्थिक और सामाजिक विज्ञान हिस्से हैं, जिन्हें कृषि के व्यवहार तथा इसे समझने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस क्षेत्र में निम्नलिखित पर अनुसंधान एवं विकास कार्य किए जाते हैं-  उत्पादन तकनीकें (जैसे कि, सिंचाई प्रबंधन, अनुशंसित नाइट्रोजन इनपुट्स) गुणवत्ता और मात्रा की दृष्टि से कृषि उत्पादन में सुधार (जैसे कि सूखा झेलने वाली फसलों तथा पशुओं का चयन, नए कीटनाशकों का विकास, खेती-संवेदन प्रौद्योगिकियां, फसल वृद्वि के सिमुलेशन मॉडल, इन-वाइट्रो सैल कल्चर तकनीकें) प्राथमिक उत्पादों का अंतिम-उपभोक्ता उत्पादों में परिवर्तन (जैसे कि डेरी उत्पादों का उत्पादन, संरक्षण और पैकेजिंग) विपरीत पर्यावरणीय प्रभावों की रोकथाम तथा सुधार (जैसे कि मृदा निम्नीकरण, कचड़ा प्रबंधन, जैव-पुन: उपचार) सैद्वान्तिक उत्पादन पारिस्थितिकी, फसल उत्पादन मॉडलिंग से संबंधित परंपरागत कृषि प्रणालियां, कई बार इसे जीविका कृषि भी कहा जाता है, जो विश्व के सर्वाधिक गरीब लोगों का भरण-पोषण करती है। ये परंपरागत पद्वतियां काफी रुचिकर हैं क्योंकि कई बार ये औद्योगिक कृषि की बजाए यादा प्राकृतिक पारिस्थितिकी व्यवस्था के साथ समाकलन का स्तर कायम रखती हैं जो कि कुछ आधुनिक कृषि प्रणालियों की अपेक्षा यादा दीर्घकालिक होती हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के विशेषज्ञता के क्षेत्र के अनुरूप उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों की प्रकृति में भिन्नता रहती है।
खाद्य विज्ञान : खाद्य वैज्ञानिक या प्रौद्योगिकीविद सामान्यत: खाद्य संसाधन उद्योग, विश्वविद्यालयों या संघीय सरकार में नियुक्त किए जाते हैं। वे स्वास्थ्यपरक, सुरक्षित और सुविधाजनक खाद्य उत्पादों की उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने में मदद करते हैं।
पादप विज्ञान : पादप विज्ञान में कृषि विज्ञान, फसल विज्ञान, कीट-विज्ञान तथा पादप प्रजनन को शामिल किया गया है।
मृदा विज्ञान: इसके अंतर्गत काम करने वाले व्यक्ति पौधें या फसल विकास से जुड़ी मिट्टी के रासायनिक, भौतिकीय, जैविकीय तथा खनिजकीय संयोजन का अध्ययन करते हैं। वे उर्वरकों, जुताई के तरीकों और फसल चम को लेकर विभिन्न प्रकार की मिट्टी के प्रत्युत्तरों का अध्ययन करते हैं।
पशुविज्ञान : पशु वैज्ञानिकों का कार्य है मांस, कुक्कुट, अण्डों तथा दूध् के उत्पादन तथा प्रोसेसिंग के बेहतर और अधिक कारगर तरीकों का विकास करना। डेयरी वैज्ञानिक, पशु प्रजनक तथा अन्य संबद्व वैज्ञानिक घरेलू फार्म पशुओं के आनुवंशिकी, पोषण, प्रजनन, विकास तथा उत्पादन से जुड़े अध्ययन करते हैं।
प्रशिक्षण, अन्य योग्यताएं -
कृषि वैज्ञानिकों के प्रशिक्षण की अपेक्षाएं उनके विशेषज्ञता क्षेत्र तथा किए जाने वाले कार्यों की प्रकृति पर निर्भर करती है। अनुप्रयुक्त अनुसंधान के लिए या मौलिक अनुसंधान में सहायता के लिए कृषि विज्ञानों में बैचलर डिग्री पर्याप्त होती है लेकिन मौलिक अनुसंधान के वास्ते मास्टर्स या डॉक्टरल डिग्री अपेक्षित होती है। कॉलेज शिक्षण और प्रशासनिक अनुसंधान पदों में प्रगति के लिए सामान्यत: कृषि विज्ञान में पी-एच.डी. डिग्री अपेक्षित होती है। 
कृषि विज्ञान में बी.ई. करने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए मौलिक पात्रता मानदंड भौतिकी, रसायन शास्त्र, गणित और वरीयतन जीव-विज्ञान विषयों के साथ 10+2 है। एक सुयोग्य कृषि इंजीनियर बनने के लिए किसी के भी पास कृषि इंजीनियरी में स्नातक डिग्री (बी.ई.बी.टेक) या कम से कम डिप्लोमा होना चाहिए।
अनुसंधान के क्षेत्रों में कोई भी व्यक्ति कृषि अनुसंधान वैज्ञानिक (एआरएस) बन सकता है। इन पदों पर भर्ती संयुक्त प्रवेश परीक्षा के जरिए की जाती है। एआरएस नेट पी-एच.डी. उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों को लेक्चरशिप तथा स्कॉलरशिप प्रदान करने हेतु आयोजित की जाती है। 
दूसरा विकल्प कृषि विकास अधिकारी (एडीओ) बनने का है, जो पद खण्ड विकास अधिकारी के समकक्ष होता है। इन पदों पर भर्ती प्रवेश परीक्षा के आधार पर की जाती है।
तीसरे आपके पास निजी क्षेत्र के संगठनों में अनुसंधान वैज्ञानिक के पद पर आवेदन करने का विकल्प होता है। वहां पर आपकी सेवाएं निजी प्रयोगशालाओं में भी इस्तेमाल की जा सकती हैं। इस उद्देश्य के लिए अपेक्षित योग्यता डॉक्टरल स्तर की अर्थात पी-एच.डी. है।
बी.एससी. करने के उपरांत आप बैंकों, वित्त और बीमा कम्पनियों की नौकरियों के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और राष्ट्रीयकृत बैंक कृषि तथा संबद्व क्षेत्रों में स्नातकोत्तरों के लिए फील्ड अधिकारियों, ग्रामीण विकास अधिकारियों तथा कृषि और परिवीक्षा अधिकारियों के पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी करते हैं। इनके अलावा फार्म प्रबंधन,भूमि मूल्यांकन, ग्रेडिंग, पैकेजिंग तथा लेबलिंग के क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध् हैं। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, दोनों में भी विपणन और बिी, परिवहन, फार्म उपयोगिता, भण्डारण आदि के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध् कराया जाता है।

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