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America-Iran Conflict: अमेरिका का ईरान पर हमला, कच्चे तेल की कीमतों में उछाल की संभावना

America-Iran Conflict: अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद से वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ गया है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में और इजाफा हो सकता है। इस महीने की शुरुआत में ही कच्चे तेल की कीमतों में 20 प्रतिशत का इजाफा देखा गया था।

America-Iran Conflict: अमेरिका का ईरान पर हमला, कच्चे तेल की कीमतों में उछाल की संभावना

America-Iran Conflict: अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद से वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ गया है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में और इजाफा हो सकता है। इस महीने की शुरुआत में ही कच्चे तेल की कीमतों में 20 प्रतिशत का इजाफा देखा गया था। अब अमेरिका का मिडिल ईस्ट में हस्तक्षेप करने से कच्चे तेल की कीमतों में और उछाल आने की संभावना जताई जा रही है।

मिडिल ईस्‍ट में संघर्ष का तेल आपूर्ति पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि मिडिल ईस्ट में बढ़ता संघर्ष, खासकर सऊदी अरब, इराक, कुवैत और यूएई जैसे देशों से तेल आपूर्ति पर गंभीर असर डाल सकता है। इससे न केवल तेल की कीमतें उछल सकती हैं, बल्कि शिपिंग रूट्स भी प्रभावित हो सकते हैं। हूती विद्रोहियों ने पहले ही चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका ने ईरान पर हमला किया तो वे शिपिंग रूट्स पर अपने हमले फिर से शुरू कर देंगे।

भारत, जो अपनी कच्चे तेल की जरूरत का लगभग 85 प्रतिशत आयात करता है, पर भी इसका असर पड़ सकता है। तेल की कीमतों में वृद्धि से देश का तेल आयात बिल बढ़ सकता है, जिससे महंगाई दर में भी उछाल आ सकता है। इसके अलावा, विदेशी मुद्रा के बड़े पैमाने पर आउटफ्लो के कारण अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में भी कमजोरी देखी जा सकती है।

ईरान की तेल उत्पादन क्षमता और होर्मुज स्ट्रेट का महत्व

ईरान, जो रोजाना करीब 3.3 मिलियन बैरल (एमबीपीडी) कच्चे तेल का उत्पादन करता है और लगभग 1.5 मिलियन बैरल का निर्यात करता है, वैश्विक तेल बाजार में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चीन, जो ईरान से कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक है, करीब 80 प्रतिशत तेल का आयात करता है।

इसके अलावा, ईरान की रणनीतिक स्थिति भी अहम है। वह होर्मुज स्ट्रेट के उत्तरी किनारे पर स्थित है, जिसके माध्यम से दुनिया के कुल कच्चे तेल का लगभग 20 मिलियन बैरल प्रतिदिन (एमबीपीडी) का व्यापार होता है। यह स्ट्रेट मध्य-पूर्व का एक प्रमुख चोक प्वाइंट है, जिसे पहले ईरान बंद करने की धमकी दे चुका है। अगर होर्मुज स्ट्रेट बंद होता है, तो इससे वैश्विक तेल आपूर्ति में भारी संकट उत्पन्न हो सकता है।

आर्थिक परिणाम और चुनौतियां

तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि से न केवल भारत, बल्कि अन्य तेल आयातक देशों की अर्थव्यवस्था पर भी दबाव बढ़ सकता है। महंगाई दर में वृद्धि और तेल आयात बिल का बढ़ना आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकता है। इन परिस्थितियों में भारतीय रुपए पर भी दबाव बढ़ सकता है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी हो सकती है।

कुल मिलाकर, अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ता संघर्ष वैश्विक तेल बाजार को प्रभावित कर रहा है, और इसके परिणामस्वरूप तेल कीमतों में और अधिक बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है, जो आर्थिक अस्थिरता का कारण बन सकती है।

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