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भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम ने करोड़ों आँखों को बड़े सपने देखना सिखाया!

भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम ने करोड़ों आँखों को बड़े सपने देखना सिखाया!

भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम ने करोड़ों आँखों को बड़े सपने देखना सिखाया!

15 अक्टूबर- डॉ कलाम जी के जन्मदिन पर विशेष लेख

-डॉ. जगदीश गाँधी, संस्थापकप्रबन्धक,

सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

डॉ कलाम ने करोड़ों आँखों को बड़े सपने देखना सिखाया:-

               एक बेहद गरीब परिवार से होने के बावजूद अपनी मेहनत और समर्पण के बल पर बड़े से बड़े सपनों को साकार करने का एक जीता-जागता उदाहरण है पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम। आपका आदर्शमय जीवन हम सभी के लिये हमेशा प्रेरणास्पद रहा है। उनकी बातें नई दिशा दिखाने वाली हैं। उन्होंने करोड़ों आँखों को बड़े सपने देखना सिखाया। वे कहते थे ‘‘इससे पहले कि सपने सच हो आपको सपने देखने होंगे। इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि ‘‘सपने वह नहीं जो आप नींद में देखते हैं। यह तो एक ऐसी चीज है जो आपको नींद ही नहीं आने देती।’’ राष्ट्रपति कलाम के अनुसार ‘‘शिक्षा वास्तव में सत्य की खोज है, यह ज्ञान और प्रकाश की अंतहीन यात्रा है। अगर शिक्षा के यर्थाथ को हर एक व्यक्ति अपने जीवन में अपना ले तो यह दुनिया रहने के लिए बेहतरीन जगह बन जायेगी। ’’

डॉ कलाम एक विख्यात वैज्ञानिक राष्ट्रपति थे:-

               भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का पूरा नाम अब्दुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। इनके पिता अपनी नावों को मछुआरों को देकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के लिए कलाम जी को घर-घर अखबार वितरण का भी काम करना पड़ा था। कलाम जी ने अपने पिता से ईमानदारी व आत्मानुशासन की विरासत पाई और माता से ईश्वर-विश्वास तथा करूणा का उपहार लिया। वे भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनना देखना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने अपने जीवन में अनेक वैज्ञानिक एवं शैक्षिक उपलब्धियों को भारत के नाम भी किया।

हम जैसा समाज चाहते हैं हमें वैसी ही शिक्षा अपने बच्चों को देनी चाहिएः-

               उनका मानना था कि आने वाली पीढ़ी हमें तभी याद रखेगी जबकि हम हमारी युवा पीढ़ी को एक समृद्ध और सुरक्षित भारत दे सके जो कि सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ आर्थिक समृद्धि के परिणामस्वरूप प्राप्त हो। उनका मानना था कि हम जैसा समाज चाहते हैं हमें वैसी ही शिक्षा अपने बच्चों को देनी चाहिए। इसके लिए वे कहते थे कि चूंकि एक शिक्षक का जीवन कई दीपों को प्रज्जवलित करता है इसलिए एक शिक्षक को अपने पेशे के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए। उसे शिक्षण एवं बच्चों से प्रेम होना चाहिए।... उसे न सिर्फ विषय की सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक बातें पढ़ानी चाहिए, बल्कि छात्रों में हमारी महान सभ्यता की विरासत एवं सामाजिक मूल्यों की जमीन भी तैयार करनी चाहिए।

बच्चों को बचपन में दी गई शिक्षा ही उसके सारे जीवन का आधार बन जाती हैः-

               कलाम जी का मानना था कि बच्चों को बचपन में दी गई शिक्षा ही उसके सारे जीवन का आधार बन जाती है। इसके लिए वे अपना उदाहरण देते हुए बताते थे कि वे बचपन से ही अपने गुरू श्री अय्यर जी से अत्यधिक प्रभावित थे। कक्षा 5 में पढ़ते हुए उनके गुरू श्री अय्यर जी ने उनकी कक्षा के सभी बच्चों को कक्षा में ‘पक्षियों को उड़ने की क्रिया’ पढा़ने के साथ ही उन सभी को शाम को समुद्र तट पर बुलाकर पक्षियों को उड़ते हुए भी दिखाया था। इसका कलाम जी के जीवन में बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा और आने वाले समय में एक रॉकेट इंजीनियर, एयरोस्पेस इंजीनियर तथा प्रौद्योगिकीवेत्ता के रूप में उनका जीवन रूपांतरित हो गया। कलाम जी का कहना था कि ‘‘सात साल के लिये कोई बच्चा मेरी निगरानी में रह जाये, फिर भगवान हो या शैतान, कोई भी उसे बदल नहीं सकता।’’  

ईश्वर की प्रार्थना हमें अपनी शक्तियों को विकसित करने में मदद करतीं हैं:-

               भगवान में उनकी गहरी आस्था थी। वे जहां एक ओर कुरान पढ़ते थे तो वहीं दूसरी ओर गीता भी पढ़ते थे। उनका मानना था कि भगवान, हमारे निर्माता ने हमारे मस्तिष्क और व्यक्तित्व में असीमित शक्तियां और क्षमताएं दी हैं और ईश्वर की प्रार्थना हमें इन शक्तियों को विकसित करने में मदद करती हैं। वे कहते थे कि आकाश की तरफ देखिये, हम अकेले नहीं हैं। सारा ब्रह्मंाड हमारे लिये अनुकूल है और जो सपने देखते हैं और मेहनत करते हैं उन्हें प्रतिफल देने के लिए सारा ब्रह्मंाड मदद करता है।

हर विद्यार्थी अलग होता है, हर एक की खूबियां ओर कमजोरियां अलग-अलग होती हैंः-

               डॉ. कलाम का मानना था कि शिक्षण का मुख्य उद्देश्य छात्रों मंे राष्ट्र निर्माण की क्षमताएँ पैदा करना है। ये क्षमताएँ शिक्षण संस्थानों के ध्येय से प्राप्त होती है तथा शिक्षकों के अनुभव से सृदृढ़ होती है, ताकि शिक्षण संस्थान से निकलने के बाद छात्रों में नेतृत्वकारी विशिष्टायें आ जायें। डॉ कलाम कहते थे कि कि हर विद्यार्थी अलग होता है, हर एक की खूबियां ओर कमजोरियां अलग-अलग होती हैं। इसलिए न तो किसी और से तुलना करे और न तो किसी और के जैसा बनने की कोशिश करें। कलाम जी कहते थे कि अगर किसी भी देश को भ्रष्टाचार-मुक्त और सुन्दर-मन वाले लोगों का देश बनाना है तो, मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य माता, पिता और गुरु ही ये कर सकते हैं।

डॉ कलाम बाल एवं युवा पीढ़ी के प्रेरणा स्रोत्र

               लगभग 40 विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि, पद्म भूषण और पद्म विभूषण व भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित होने वाले पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम बाल एवं युवा पीढ़ी के प्रेरणास्रोत थे। बच्चों के अनुरोध पर वे हमारे विद्यालय में 3 बार आयेे और उन्होंने अपने प्रेरणादायी भाषणों के माध्यम से बच्चों को बड़ा सपना देखने और फिर उस सपने को पूरा करने के लिए समर्पित रहने के लिए प्रेरित किया। उनका मानना था कि बच्चों को कृत्रिम सुख की बजाये ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहना चाहिए। ऐसे महान कर्मयोगी के प्रति हम अपनी हार्दिक श्रंद्धाजलि व्यक्त करते हैं। --

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