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दोहरीघाट पुल पर चलना, मतलब जान की बाज़ी लगाना

दोहरीघाट का यह क्षतिग्रस्त पुल बना दुर्घटनाओं का नया अड्डा। दोहरीघाट पुल पर चलना, मतलब जान की बाज़ी लगाना।

दोहरीघाट पुल पर चलना, मतलब जान की बाज़ी लगाना

नवीन पांडेय, गोरखपुर। ये है गोरखपुर - वाराणसी प्रमुख मार्ग का दोहरीघाट पुल जो वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहा है।

भाजपा युवा नेता अमित वशिष्ठ कहते है कि लग रहा है जब यह पुल सैकड़ों लोगो को लील लेगा और पूरी तरह तबाह होगा तब अधिकारियों व प्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर केंद्रित होगा। मुख्यमंत्री के जिले को प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से जोड़ने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण पुल सरकारी अनदेखी का शिकार है।

कई दफा पूर्व मंत्री एवम् भाजपा वरिष्ठ नेता राजेश त्रिपाठी ने एनएचएआई और कई मंत्रालयों को पत्र लिखकर पुल का सुधार करने बाबत कहा परन्तु स्थिति जस की तस है।

क्षेत्र के ही नवीन पांडेय, दीपक तथा आनंद त्रिपाठी कहते है कि आए दिन कोई न कोई दुर्घटना होती रहती है, स्थानीय लोग आदी हो गए है।

अधिकारी मानो जैसे कान में रुई डाल सो रहे हैं।

 

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