भ्रम : होम्योपैथी औषधियों का असर देर से होता है?
सच : ज्यादातर मामलों में रोगी होम्योपैथी डॉक्टर के पास लंबे समय से हो रही बीमारी या एक से अधिक रोगों के इलाज के लिए जाता है जिससे उपचार में समय लगता है।
भ्रम : यह पद्धति पहले रोग बढ़ाती है फिर ठीक करती है?
सच : अगर विशेषज्ञ के पास आने से पहले रोग को दबा दिया गया हो तो इलाज के दौरान कई बार पुराने दबे लक्षण फिर से उभर आते हैं जो सामान्य प्रक्रिया है।
भ्रम : यह मीठी गोलियां ज्यादा असर नहीं करतीं?
सच : होम्योपैथिक औषधियां एल्कोहल में तैयार की जाती हैंं। ये सफेद गोलियां वाहक की तरह काम करती हैं। इन सफेद गोलियों को लेने से इनमें मौजूद औषधि जीभ से अवशोषित होकर शरीर में जाती है।
भ्रम : इसमें बहुत परहेज करना पड़ता है?
सच : होम्योपैथिक दवाएं जीभ से अवशोषित होती हैं इसलिए इन्हें लेने से पहले और बाद के 15 मिनट तक जीभ व मुंह का साफ होना जरूरी होता है। इस उपचार में रोगी को बीमारी के अनुसार सामान्य परहेज करने की सलाह दी जाती है।
भ्रम : होम्योपैथिक चिकित्सा के दौरान रोगी इमरजेंसी में अन्य दवाएं नहीं ले सकता है?
सच : ऐसा नहीं है, रोगी अन्य दवाओं का सेवन कर सकता है।
भ्रम : डायबिटीज के रोगी को ये गोलियां नहीं लेनी चाहिए?
सच : इन दवाओं में शुगर की मात्रा न (नैनोडोज) के बराबर होती है। इसलिए डायबिटीज के रोगी इस पद्धति से उपचार करा सकते हैं।
भ्रम : यह चिकित्सा विश्वास पर आधारित है, इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है?
सच : सभी होम्योपैथिक दवाएं वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित होती हैं। इन औषधियों का परीक्षण हर आयु वर्ग की महिला एवं पुरुष पर करने के बाद, उनसे प्राप्त लक्षणों को इस चिकित्सा पद्धति का आधार बनाया जाता है।
भ्रम : सभी होम्योपैथिक दवाएं एक जैसी होती हैं?
सच : नहीं, ये दवाएं सिर्फ दिखने में एक जैसी होती हैं। इस पद्धति में प्रत्येक रोगी के लिए दवा का चयन रोग के आधार पर न होकर लक्षण व उसके व्यक्तित्व के आधार पर किया जाता है।
आखिर क्यों बोली हेमा, - यहां कृष्ण से ज्यादा कंस पैदा हो गए
मथुरा की सांसद हेमामालिनी ने कहा कि मथुरा में अब अपराध बहुत बढ़ गया है, जबकि पहले एेसा नहीं था। हेमामालिनी ने कहा कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर यहां के व्यापारियों को कड़ी सुरक्षा मुहैया कराने के लिए मांग करेंगी।
हेमामालिनी 15 मई को मथुरा के सर्राफा बाजार में 2 व्यापारियों की हत्या करके लाखों-करोड़ों के जेवरात की लूट के बाद पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंची थीं। उन्होंने दोनों परिवारों के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। उन्होंने इसके बाद कहा कि मैंने तो कभी एेसा सोचा भी नहीं था कि यहां एेसा होगा। मैं तो यहां यह सोचकर आई थी कि मथुरा भगवान कृष्ण की नगरी है। यहां कण-कण में कृष्ण का वास है। लेकिन अब देखती हूं कि यहां कृष्ण से भी ज्यादा कंस पैदा हो गए हैं। पहले एेसा नहीं था।
हेमामालिनी ने कहा कि मैं सांसद होने के नाते ही नहीं, एक औरत होने के नाते भी इस घटना से बेहद दुखी हूं। दोनों व्यापारियों की पत्नी, छोटे-छोटे बच्चे, परिवार वाले आदि सभी दुखी हैं। घटना का पता लगने के बाद से मैं लगातार उनके संपर्क में रही हूं। घटना के बाद घायल हुए पांच व्यापारी एवं कारीगरों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज एवं अन्य सुविधाएं न मिल पाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हां, मैंने भी देखा है कि मथुरा के अस्पतालों में डॉक्टर नहीं रहते।
उन्होंने कहा कि परिजनों ने मुझे बताया है कि न तो वहां घायलों को लाने के लिए उस समय स्ट्रेरचर मिलीं, न डॉक्टर। यहां तक कि जब परिजन घायलों को जिला अस्पताल के आपातकालीन विभाग तक लेकर पहुंचे, बिजली चली गई। वहां कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं थी। मृत व्यापारी मेघ अग्रवाल के पिता महेश चंद्र अग्रवाल ने अपराधियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई एवं मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की। वहीं विकास गोयल के पिता मोहन लाल गोयल एवं परिजनों ने मृत व्यापारी के आश्रितों को मुआवजा, लूटा गया पूरा माल बरामद कराने जैसी मांगें सांसद के समक्ष रखीं।
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