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अजब-गजब

ऑपरेशन से मेरे दोनों स्तन और निप्पल निकालने के बाद मेरी जान बची

ऑपरेशन से मेरे दोनों स्तन और निप्पल निकालने के बाद मेरी जान बची

ऑपरेशन से मेरे दोनों स्तन और निप्पल निकालने के बाद मेरी जान बची

मैं 28 साल की थी जब मुझे बताया गया कि मुझे स्तन कैंसर होने की संभावना 95% है। इस बीमारी ने मेरी दादी और उनकी मां की भी जान ले ली थी। और  मेरी मां की मृत्यु भी इसी बीमारी से हुई। तीन साल पहले ख़ून की जांच में मालूम हुआ कि मुझमें बीआरसीए-1 जीन है। मुझे ये अपनी मां से विरासत में मिली थी जिसकी वजह से औसतन एक महिला में स्तन कैंसर की आशंका 12 से 72 फ़ीसदी बढ़ जाती है। मेरी माँ खुद अपराधबोध में रहती थीं, रोती थीं और माफ़ी मांगती थी। मैं खुद को संभालने पर ध्यान लगाती थी और ध्यान रखती थी कि कहीं डर ही मुझे पूरी तरह ना खा जाए। मेरे तीसवें जन्मदिन के बाद एक दिन मैं डॉक्टर के कमरे में बैठी थी जब पहली बार मौत का ख़्याल मुझे हक़ीक़त लगने लगा।

मौत का ख़्याल लगा हक़ीक़त
मेरी टांगे कांपने लगी और मेरा दिमाग़ भागने लगा। मैंने फ़ैसला किया कि मैं ज़िंदा रहने के लिए कुछ भी करूंगी। मैं और मेरा पार्टनर उस वक्त दो बेटों को गोद लेने की प्रक्रिया से गुज़र रहे थे। हमने बच्चे पाने के लिए दूसरे तरीकों के बारे में भी सोचा था, लेकिन मैं ऐसा कोई ख़तरा नहीं उठाना चाहती थी कि मेरी जीन म्यूटेशन मेरे बच्चों में पहुंचे। हम अपना परिवार शुरू करने के काफ़ी क़रीब थे और मैं दृढ़ थी कि हमारे रास्ते में कोई रुकावट ना आने पाए। मुझे बताया गया कि 30 साल की उम्र ब्रेस्ट सर्जरी के लिए बहुत कम है, इसलिए मेरी कोशिकाओं को एक साल के लिए एमआरआई के ज़रिए मॉनिटर किया गया।

'मेरा शरीर अधूरा हो गया' 
 मेरे दिमाग में पहले से ही कोई शक़ नहीं था, मैं सर्जरी से अपने दोनों स्तन निकलवाना चाहती थी क्योंकि मैं मरने का ख़तरा नहीं उठा सकती थी। मैं अपने बच्चों, अपनी पार्टनर, अपने परिवार के लिए जीना चाहती थी। अपने लिए जीना चाहती थी। ऑपरेशन से मेरे दोनों स्तन और निप्पल निकाल दिए गए। जैसा कि ब्रिटेन में 21 फ़ीसदी स्तन निकलवाने वाली महिलाएं करती हैं, मैंने भी अपने स्तनों को फिर से बनवाया उन्हें इम्प्लांट से बनाया गया था ना कि मेरे शरीर के किसी और हिस्से से टीश्यू लेकर। मुझे बताया गया था कि सर्जरी के बाद मेरी छाती पर बहुत निशान होंगे और इसलिए मैं अपने पेट या पैरों पर और निशान नहीं चाहती थी। सर्जरी के बाद मुझे राहत महसूस हुआ।

सर्जरी के बाद मैं 5 दिन तक अस्पताल में थी, लेकिन रिकवरी मुश्किल थी । मेरा शरीर अधूरा हो गयाअगले चार महीनों तक एंटीबायोटिक के साइड इफ़ेक्ट की वजह से अस्पताल आती-जाती रही। मेरी आंतों में संक्रमण के कारण मैं ना खा पाती थी, ना सो पाती थी और तक़रीबन हर दिन मेरे स्तनों से मवाद बहता था। इन सबसे मैं निबट सकती थी, मैंने खुद को मुश्किल शारीरिक रिकवरी के लिए तैयार कर रखा था। मैं हमेशा से आत्मविश्वासी रही हूं, लेकिन मैंने शीशे या दूसरों के सामने कपड़े बदलना बंद कर दिया।

सकारात्मक महसूस कर रही थी
मै फिर से निप्पल बनवाने की सोच रखी और  मैंने क्लेयर से देर तक बात की कि मैं अपने निप्पल कैसा चाहती हूं। मैंने उन्हें बताया कि मेरे पुराने निप्पल छोटे थे, मुझे नए वाले बड़े और गहरे चाहिए। उसने मुझे निप्पल और उसके चारों ओर होने वाली त्वचा की कई शेड और साइज़ दिखाए जब तक मैं अपनी पसंद को लेकर खुश नहीं हो गई। टैटू बनने में दो घंटे का वक्त लगा। मुझे हैरानी हुई कि मेरे दाएं स्तन में तेज़ दर्द हुआ जबकि दायां सुन्न था। ये संकेत था कि सारे संक्रमण झेलने के बाद भी मेरी छाती में नसें फिर से बढ़ने लगीं थीं, मैंने दर्द की शिकायत नहीं की क्योंकि मेरा शरीर मुझे फिर से अपना लगने लगा था. इस पूरी यात्रा में पहली बार मेरा खुशी से रो देने का मन हुआ जब मैंने मेरे शरीर को शीशे में देखा।

शेडिंग की वजह से थ्रीडी इफ़ेक्ट आया जिससे मेरे निप्पल असली लगने लगे जैसे कि वो मेरा ही हिस्सा हों। आसानी से सोचा जा सकता है कि ये सिर्फ़ टैटू हैं, लेकिन मेरे नए निप्पल ने मुझे फिर से मेरा आत्मविश्वास लौटाया। अब मैं अपने कपड़े अपनी पार्टनर के सामने, चेंजिंग रूम में बाथरूम में बदल सकती हूं। अब मैं अपने शरीर को गर्व से देखती हूं। ये एक लड़ाई के निशानों से भरा है, मज़बूत है और मेरा है। मेरे निप्पल टैटू प्रतीक हैं कि बीआरसीए 1 जीन से और स्तन कैंसर से मेरी लड़ाई अब ख़त्म हो गई। मेरी यात्रा पूरी हुई और मैं भी।
 

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