सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे बड़ी व कठिन परीक्षा होती है। प्रत्येक वर्ष यूपीएससी लगभग 1000 पदों के लिए सिविल सर्विसेज की परीक्षा का आयोजन करती है। इसमें उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को देश के सर्वोच्च पदों जैसे आईएएस, आईएफएस, पीसीएस, आईआरएस, आईआरटी एस आदि पर कार्य करते हुए देश की सेवा करने का मौका दिया जाता है। ऐसे में, देश के कोने-कोने से हजारों लाखों छात्र परीक्षा देते हैं। इस परीक्षा के तीन पड़ाव होते हैं- प्रीलिमिनरी, मुख्य व इंटरव्यू। प्रीलिमिनरी परीक्षा हर वर्ष मई या जून में किसी भी रविवार के दिन रखी जाती है। इस वर्ष यह परीक्षा 26 मई को रखी गई है। हालांकि यह सब जानते हैं कि प्रीलिमिनरी परीक्षा के पैटर्न 2011 में कुछ बदलाव किए गये थे व मुख्य परीक्षा में इस वर्ष कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं। बदलावों के बाद अब इन परीक्षाओं में प्रशासनिक गुण, सोश्यो-इकोनोमिक व ऐप्टिटयूड को अधिक तवाो दी जाएगी।
यदि सिविल सेवा की प्रारंभिक यानी प्रीलिमिनरी परीक्षा की बात की जाए तो सबको यह जानना जरूरी होगा कि यह परीक्षा केवल योग्यता जानने के लिए होता है। इसके अंक मुख्य परीक्षा में नहीं जोड़े जाते हैं। लगभग देश के तीन लाख लोग इस परीक्षा में बैठतें हैं। इसलिए इनमें से योग्य पंद्रह हजार उम्मीदवारों को चुनने के लिहाज से यह परीक्षा बहुत महत्वपूर्ण होती है। अत: छात्रों को बहुत ही बारीकी के साथ इसकी तैयारी करनी चाहिए। इसमें 200 अंक की दो परीक्षाएं होती हैं-सामान्य ज्ञान व ऐप्टिटयूड टेस्ट।
इसका पाठयक्रम बहुत ही विस्तृत होता है। यदि सही ढ़ंग से तैयारी न की ेगई तो यह छात्रों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। इस परीक्षा का उत्तीर्ण करने के लिए छात्रों का सही फोकस होना चाहिए। यूपीएससी कोई भी असंबंधित सवाल नहीं पूछता है। बहुत से छात्र परीक्षा के प्रारूप को समझे बिना ही बडी-बड़ी किताबें खोलकर बैठ जाते हैं और अंत में उनके हाथ कुछ नही लगता है। ऐसी तैयारी का कोई मतलब नही होता है। सिविल सेवा के लिए तैयारी करने का अर्थ होता है सागर में से मोती छांटना। अत: सबसे पहले इसका गहन अध्ययन करें।
परीक्षा के प्रारूप को समझें:-
सबसे पहले इसकी अधिसूचना को कई बार अच्छी तरह से पढ़ें। इसमें साफ-साफ लिखा होता है कि सामान्य ज्ञान व ऐप्टिटयूड टेस्ट में बारहवीं कक्षा के स्तर के प्रश् पूछे जाएंगे। इसमें किसी विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। पाठयक्रम को अच्छी तरह से पढ़ें व यह समझने का प्रयास करें कि क्या संदेश दिया जा रहा है? पिछले वर्ष के प्रश्पत्र को भी देखें जिससे आप को यह पता चल जाएगा कि किस तकर के प्रश् किस प्रकार से पूछे जाते हैं?
पाठयक्रम में दिए गए विषयों को ढंग से समझें:-
छात्रों को कोई भी विषय नहीं छोड़ना चाहिए। उन्हें हर विषय के बारे में गहन समझ व जानकारी होनी चाहिए। कभी-कभी किसी विषय पर सीधे तौर से सवाल नहीं पूछा जाता है। इसलिए जब तक छात्र को विषय के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं होगी, वह सही जवाब नहीं दे सकता।
विशिष्ट क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दें:-
गत वर्षों के प्रश्पत्र बार-बार पढ़ने से आप को एक आइडिया मिल जाएगा कि प्रश्नपत्र किस प्रकार तैयार किया जाता है व सवालों के पूछने का तरीका कैसा होता है? किन विषयों से अधिक प्रश् पूछे जाते हैं। इससे आप को तैयारी करने में मदद मिलेगी।
पुराने प्रश्नपत्र:-
पुराने प्रश्पत्रों का अध्ययन करने से छात्र समझ सकता है कि प्रश्ों का आधार अक्सर विचारों या विशिष्ट कांसेप्ट से प्रेरित होते हैं। इसीलिए छात्रों को हर विषय से संबंधित विचारों और सिध्दांतों पर भी ध्यान देना चाहिए। तभी आप प्रश्ों के एवज में दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुन सकते हैं।
अपनी धारणाशक्ति को बढ़ाएं:-
इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने की आवश्यकता है-अच्छी धारणा शक्ति। आप की सफलता इस पर निर्भर करती है कि जरूरत के समय पर आप कितना कुछ स्मरण कर सकते हैं? इस आदत को अभ्यास से बढ़ाया जा सकता है। वैसे भी हर इंसान के मस्तिष्क में गजब की याद्दाश्त होती है बस जरूरी यह होता है कि हम किस प्रकार से उसका इस्तेमाल कर पाते हैं। जो भी पढ़ें, इससे संबंधित छोटे-छोटे नोट्स बनाना, उन्हें दोहराते रहना यहां बहुत मायने रखता है।
गति बढाएं व अचूक बनें:-
प्रीलिमिनरी परीक्षा में प्रश्ों की संख्या व उनके अर्थों को देखते हुए निर्धारित की गई सीमित समय-सीमा को ध्यान में रखते हुए छात्रों को अपनी गति बढ़ानी चाहिए व यह नहीं भूलना चाहिए कि हर गलत उत्तर के लिए अंक काटे भी जाएंगे। इसलिए माडल प्रश्पत्रों का अधिक तौर पर अभ्यास आप को निश्चित ही सफलता दिला सकता है।
समय प्रबंधन:-
शुरुआती दिन से लेकर परीक्षा के दिन तक समय का सदुपयोग करना छात्रों के समक्ष एक बड़ी चुनौती होता है। सीमित समय में विभिन्न विषयों की तैयारी करना सबके बस की बात नहीं होती जब तक कि छात्र समय का सही उपयोग करना न जानते हों। कितने समय में क्या पढ़ना है, कैसे पढ़ना है, किस विषय को कितना महत्व देना है आदि पहलुओं पर बारीकी से गौर कर अपनी समय सारिणी बनाएं व उसमें पुनरावृत्ति को केंद्रित करना न भूलें।
सेहत से सावधानी:-अपना शारीरिक व मानसिक संतुलन बनाए रखें। जैसे-जैसे परीक्षा का दिन निकट आता है, छात्र प्राय: अपने सेहत की ओर ध्यान देना बंद कर देते हैं। जो कि गलत है। एक स्वस्थ दिमाग ही स्वस्थ शरीर बना सकता है। इसलिए सही ढ़ंग से खाना-पीना, सोना, व्यायाम, आराम पर भी ध्यान दें ताकि आप स्वस्थ मन व तन से परीक्षा दे सकें।
आखिरी दस दिन:-आखिरी के दस दिनों में जहां तक हो सके, कोई भी नया विषय पढ़ने का प्रयास न करें। अब तक आप ने जो कुछ भी पढ़ा या याद किया है, उसी को बार-बार दोहराने की कोशिश करें व माडल प्रश्पत्रों को सुलझाएं। इस समय आप अच्छी नींद लें और सकारात्मक सोच रखें। साथ ही अपनी सफलता कल्पना करें जिससे आप का आत्मविश्वास बढेग़ा।
परीक्षा-स्थान पर समय से पहुंचें:-
यदि संभव हो तो अपने परीक्षा के स्थान को एक दो दिन पहले ही देख आएं ताकि परीक्षा के दिन आप को वहां पहुंचने में तकलीफ नहीं होगी। इस दिन किसी भी प्रकार का तनाव न लें। घबराहट को अपने पास न फटकने दें। सकारात्मक सोच के साथ परीक्षा भवन में जाएं। उत्तर पुस्तिका पर अपनी डीटेल भरते समय सजग रहें। पूरे दो घंटे को अच्छी तरह से इस्तेमाल करें। तसल्ली से परीक्षा दें। लेकिन गति इतनी धीरे भी न हो कि समय समाप्त हो जाए और आपकी परीक्षा अधूरी। उत्तर पुस्तिका में प्रश् नंबर व उत्तर नंबर मिला लें। गलती से किसी और प्रश् का उत्तर अन्य प्रश् में न भर दें। हमेशा सतर्क, सजग सकारात्मक रहें। सक्सेस गुरु ए के मिश्रा लेखक: चाणक्य आईएएस एकेडमी के निदेशक हैं।
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