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रुक्मणी नहीं राधारानी थी श्री कृष्ण की पहली पत्नी

भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के विवाह का प्रसंग श्रीगर्ग संहिता के गो-लोक खण्ड में आता है। युगल जोड़ी का विवाह भाण्डीय वन में हुआ था। जो आज भी उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में माण्ड गांव में स्थित है। वैसे तो मथुरा से इसकी दूरी मात्र 20 कि.मी. है लेकिन माना जाता है की इस स्थान पर केवल युगल जो

रुक्मणी नहीं राधारानी थी श्री कृष्ण की पहली पत्नी

भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के विवाह का प्रसंग श्रीगर्ग संहिता के गो-लोक खण्ड में आता है। युगल जोड़ी का विवाह भाण्डीय वन में हुआ था। जो आज भी उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में माण्ड गांव में स्थित है। वैसे तो मथुरा से इसकी दूरी मात्र  20 कि.मी. है लेकिन माना जाता है की इस स्थान पर केवल युगल जोड़ी के भक्त ही पंहुच पाते हैं। जो यहां दर्शन कर लेता है उसे स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।

 

इस स्थान पर श्रीराधा-कृष्ण का विवाह भगवान ब्रह्मा ने सभी देवी-देवताओं की मौजुदगी में करवाया था। वहां आज भी पेड़ के नीचे राधा-कृष्ण के साथ भगवान ब्रह्मा का विग्रह विराजित है। पेड़ के पास एक बोर्ड लगा है जिस पर विवाह का पूरा वृतांत पढ़ा जा सकता है।

 

युगल जोड़ी यहां एकांत में समय व्यतीत करने आते थे और आज भी गुप्त लीलाएं करते हैं। यहां विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां ठाकुर जी राधा रानी की मांग भर रहे हैं और एक पेड़ है जिसका गठबंधन हुआ है। कहते हैं दंपत्ति इस पेड़ के सात फेरे ले व पति अपनी पत्नी की मांग भरे तो उन्हें युगल जोड़ी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कुंवारी कन्याएं चार फेरे लें तो मनभावन जीवनसाथी मिलता है और वैवाहीक जीवन सुखी रहता है।

 

माण्ड गांव में प्राचीन कुंआ स्थित है। कुंए के पानी का आचमन कर वहां निवास कर रहे बृजवासीयों से मदुकरी (भोजन और छाछ) मांगकर अवश्य खानी चाहिए। इसके अतिरिक्त बलराम जी का मंदिर भी देखने योग्य स्थान है।

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