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आप भी बन सकते है जज

देश में कानून की पढ़ाई के लिए एक समय में सिर्फ एलएलबी यानी बैचलर ऑफ लॉ की पढ़ाई कराई जाती थी। इसके बाद सीधा युवा अदालत में जाकर प्रैक्टिस का काम शुरू कर देते थे। अनुभव और ज्ञान के साथ ऐसे युवाओं को धीरे-धीरे पद और समाज में प्रतिष्ठा हासिल होती थी। लेकिन आज 12वीं की परीक्षा के बाद पांच वर्षीय

आप भी बन सकते है जज

देश में कानून की पढ़ाई के लिए एक समय में सिर्फ एलएलबी यानी बैचलर ऑफ लॉ की पढ़ाई कराई जाती थी। इसके बाद सीधा युवा अदालत में जाकर प्रैक्टिस का काम शुरू कर देते थे। अनुभव और ज्ञान के साथ ऐसे युवाओं को धीरे-धीरे पद और समाज में प्रतिष्ठा हासिल होती थी। लेकिन आज 12वीं की परीक्षा के बाद पांच वर्षीय डिग्री कोर्स में छात्रों को बीए के साथ-साथ एलएलबी की भी डिग्री दे दी जाती है। इसे एक प्रोफेशनल डिग्री का भी दर्जा मिला हुआ है। डिग्री हासिल करने के बाद छात्रों के लिए अदालत में प्रैक्टिस की राह तो है ही, राज्य स्तर पर न्यायिक सेवा में भर्ती के लिए समय-समय पर परीक्षा भी आयोजित की जाती है। यहां प्रॉसिक्यूटर, जिसे सरकारी वकील कहा जाता है, के रूप में काम करने का मौका है। न्यायिक सेवा परीक्षा के जरिए राज्यों में जूनियर स्तर पर जज की भर्ती होती है। सात साल की प्रैक्टिस के बाद ज्यूडिशियरी परीक्षा पास करके जिला स्तर पर जज बन सकते हैं। 10 साल की प्रैक्टिस के बाद हाईकोर्ट में जज बनने का मौका मिलता है। बाजारीकरण और उदारीकरण की व्यवस्था लागू होने के बाद देशभर में बैंकिंग और फाइनेंस सेवा का विस्तार हुआ है। देसी से लेकर विदेशी कंपनियां शहर से लेकर गांव तक व्यवसाय को बढ़ावा दे रही है। इनके अलावा कॉरपोरेट जगत भी अपना पैर पसार रहा है। ऐसी व्यवस्था में कॉमर्स और मैनेजमेंट के अलावा बड़े पैमाने पर कानून के छात्र को भी नौकरी मुहैया कराई जा रही है। कंपनियों और लीगल फर्म में बतौर अधिकारी या एडवाइजर के रूप में लॉ के छात्रों को रखा जा रहा है। निजी या सरकारी बैंक सिर्फ मैनेजर, एकाउंटेंट या क्लर्क ही नहीं, अपने यहां लॉ अधिकारी भी नियुक्त कर रहा है। इसी तरह टैक्सेशन से जुड़ी कंपनियां अपने यहां लॉ के विषेशज्ञ को रख रही हैं। एमएनसी में प्रबंधकों की टीम में एक विधि विशेषज्ञ को भी प्रबंधक के रूप में रखा जा रहा है। निजी कंपनियों और बैंकों के विस्तार ने लॉ ग्रेजुएट्स को नौकरी के नए अवसर मुहैया कराए हैं। इनसे हटकर मीडिया जगत में परंपरागत लेखक या पत्रकार के अलावा विधि संपादक या लेखक अपनी अलग जगह बना रहे हैं। बड़े-बड़े मीडिया संस्थान कानून से संबंधित खबरों को प्रकाशित करने में सावधानी बनाए रखने के लिए अपने यहां लॉ ग्रेजुएट को रिपोर्टिग या लेखन के काम से जोड़ रहे हैं। इनके अलावा और बहुत सारे ऐसे क्षेत्र हैं जहां कानून के जानकारों को रखा जा रहा है। हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्टिंग के लिए भाषाई अखबार हो या अंग्रेजी या लॉ ग्रेजुएट को काम पर रखा जा रहा है। पत्र-पत्रिकाओं में लेखन के लिए भी विधि विषेशज्ञ जगह बना रहे हैं। मैनेजमेंट स्कूल या लॉ विविद्यालय या स्कूल यहां अध्यापन के लिए लॉ ग्रेजुएट को अवसर मुहैया कराया जा रहा है। अध्यापन के लिए आमतौर पर एलएलएम व नेट या पीएचडी छात्रों को करियर मुहैया कराया जा रहा है। स्किल  जहां तक बात स्किल की है इस पेशे में आने या सफलता हासिल करने के लिए अच्छे खासे हुनर की भी जरूरत पड़ती है। तीन साल की एलएलबी की डिग्री होनी चाहिए। इसके साथ ही कानून की धाराएं और उससे जुड़े मामले का सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान होना जरूरी है। इस तरह की जरूरतों को देखते हुए ही देश में जगह-जगह लॉ स्कूल और यूनिवर्सिटी खोले गए हैं। इनमें दाखिले के लिए अब अलग-अलग टेस्ट देने के बजाय कैट, मैट की तर्ज पर छह साल पहले क्लैट शुरू किया गया है। कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट यानी एक ही प्रवेश परीक्षा के जरिए आज 16 लॉ यूनिवर्सिटी में दाखिले का मौका मिल रहा है। दाखिले की प्रक्रिया 1 जनवरी से जारी है। फार्म भरने की आखिरी तारीख 31 मार्च है। प्रवेश परीक्षा 10 मई को है। परीक्षा लेने की जिम्मेदारी इस बार राममनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी लखनऊ को सौंपी गई है। इसके अलावा बहुत सारे विविद्यालय अपने यहां क्लैट के जरिए पो स्ट ग्रेजुएट कोर्स एलएलएम में भी दाखिला दे रहे हैं। दाखिले की योग्यता क्लैट यानी कॉमन लॉ टेस्ट के जरिए पां च वर्षीय एलएलबी में 12वीं पास छात्रों को आर्ट्स, कॉमर्स या साइंस में 45 फीसदी अंकों के साथ उतीर्ण होना अनिवार्य है। इसी तरह दो वर्षीय एलएलएम में एलएलबी 55 फीसदी अंकों के साथ उतीर्ण होना अनिवार्य है। आरक्षित वर्ग के लिए न्यूनतम अंक में 5 फीसदी की छूट है। जो छात्र बीए के बाद एलएलबी करना चाहते हैं उन्हें स्नातक स्तर पर 50 फीसदी अंक के साथ उर्तीण होना अनिवार्य है।
        परीक्षा का पैटर्न स्नातक स्तर के कोर्स में दाखिले के लिए दो घंटे का पेपर होगा। यह वस्तुनिष्ठ उत्तरों पर आधारित है जिनमें अंग्रेजी, गणित, समसामयिक ज्ञान व सामान्य ज्ञान, लीगल एप्टीटयूट और रीजनिंग से सवाल पूछे जाते हैं। अवसर कहां रू जिला अदालतों से लेकर उच्च और उच्चतम न्यायालय में आज बतौर अधिवक्ता काम करने के लिए काफी स्पेस है। विदेशी और देसी पत्र पत्रिकाओं और चैनलों में विधि के जानकार को संवाददाता या रिपोर्टर के रूप में रखा जा रहा है। बैंकिंग सेवा, वित्त विभाग और अन्य कंपनियों में कानूनी पहलू को समझने और सु लझाने के लिए लॉ ग्रेजुएट्स रखे जा रहे हैं। जिला अदालत और उच्च अदालतों में जज के रूप में काम करने का अवसर है। सरकारी वकील के लिए परीक्षा पास करके करियर की राह चुनी जा सकती है। लीगल फर्म या निजी कंपनियों में एडवाइजर के रूप काम कर सकते हैं। वेतनमान रू वकील का वेतनमान आमतौर पर उसके काम से जुड़ा है, लेकिन न्यायिक सेवा में आने पर शुरुआती स्तर पर वेतनमान 40-45 हजार रुपये है। यह आगे चलकर वरिष्ठता के क्रम से बढ़ता जाता है। अध्यापन के क्षेत्र में आने पर 55 हजार रुपये प्रतिमाह वेतनमान है। बैंक या किसी फर्म में लॉ अधिकारी बनने पर वेतनमान 45 हजार करीब है। हालांकि कंपनियां अपनी हैसियत के मताबिक प्रबंधकों की तरह विधि विशेषज्ञों को लाख से ऊपर की सै लरी पर भी रखती हैं। निजी प्रैक्टिस के रूप में लाखों रूपये कमाए जा सकते हैं ।
        कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान एनएलएसआईयू, बेंग्लुरू नालसार, हैदराबाद एलएलआइयू, भोपाल डब्लूबीएनयूजेएस, कोलकाता एनएलयू, जोधपुर एचएनएलयू, रायपुर जीएनएलयू, गांधीनगर आरएमएलएनएलयू लखनऊ आरजीएनयूएल, पटियाला सीएनएलयू पटना एनयूएएलएस कोची एनएलयू, उडीशा एनयूएसआरएल रांची एनएलयूजेए, गुवाहाटी डीएसएनएलयू, विशाखापट्टनम टीएनएनएलएस, तिरूचिरापल्ली

 

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