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ज्ञान हमेशा बुद्धि एवं विवेक से आवृत होना चाहिए- डा. (श्रीमती) भारती गाँधी

ज्ञान हमेशा बुद्धि एवं विवेक से आवृत होना चाहिए- डा. (श्रीमती) भारती गाँधी

ज्ञान हमेशा बुद्धि एवं विवेक से आवृत होना चाहिए- डा. (श्रीमती) भारती गाँधी

लखनऊ, 30 जून। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर ऑडिटोरियम में आयोजित ‘विश्व-एकता सत्संग’ में बोलते हुए प्रख्यात शिक्षाविद्, सी.एम.एस. की संस्थापिका निदेशिका एवं बहाई अनुयायी डा. भारती गाँधी ने कहा कि ज्ञान हमेशा बुद्धि एवं विवेक से आवृत होना चाहिए। ज्ञान प्राप्ति का उद्देश्य हमेशा ही मानव जाति के हित तथा उसकी सेवा के लिए होना चाहिए। ज्ञान ही सर्वोपरि है अतः हमें ईश्वर से सदैव बुद्धिमत्ता के लिए प्रार्थना करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि ईश्वर की शरणागति हमारे पापों को नष्ट कर देती है। हमारा शरीर पंचतत्वों से निर्मित है और यह अंततः उसी में विलीन हो जायेगा परन्तु आत्मा प्रभु के पासरहेगी। डा. भारती गाँधी ने कहा कि ईश्वर ने मनुष्य की रचना इसलिए की है ताकि वह दिव्य आलोक को प्रतिबिम्बित कर सके तथा इस जगत को अपने शब्दों, कार्यों तथा जीवन से आलोकित कर सके। इससे पहले, डा. गाँधी ने दीप प्रज्वलित कर विश्व एकता संत्संग का विधिवत् शुभारम्भ किया जबकि सी.एम.एस. के संगीत शिक्षकों ने सुमधुर गीतों व भजनों का समाँ बाँधकर सत्संग प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर विभिन्न धर्मावलम्बियों ने भी सारगर्भित विचार रखे। सत्संग का समापन संयोजिका श्रीमती वंदना गौड़ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

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