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होलाष्टक में रुके शुभ कार्य,अब होली से होंगे शुरू

होलाष्टक में रुके शुभ कार्य,अब होली से होंगे शुरू

होलाष्टक में रुके शुभ कार्य,अब होली से होंगे शुरू

होलाष्टक 23 फरवरी से शुरू हो चुका है और यह पहली मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त होगा। होलाष्टक के इन 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य शुरू करना वर्जित माना जाता है। खासकर नामकरण, विवाह की चर्चा, मुंडन, हवन, विवाह, गृह प्रवेश, गृह निर्माण जैसे शुभ काम नहीं किये जाते। फाल्गुन माह की पूर्णिमा (1 मार्च) को होलिका दहन किया जाएगा और इसके अगले दिन होली पर रंग-गुलाल खेलकर खुशियां मनाई जाएंगी। इसके साथ ही शुभ कार्य शुरू होंगे।

होलाष्टक का संबंध भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद और उनके पिता अत्याचारी हिरण्यकश्यप की कथा से है। मान्यता है कि होली के पहले के 8 दिन, अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक भक्त प्रहलाद को काफी यातनाएं दी गई थीं। यातनाओं से भरे उन 8 दिनों को ही अशुभ मानने की परंपरा बन गई। स्कंद पुराण के अनुसार राक्षसी प्रवृत्ति का राजा हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से ईर्ष्या की भावना रखता था। उसके राज्य में जो कोई भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करता, उसे मौत की सजा सुना दी जाती थी। राजा के फरमान से डरकर उसके राज्य में कोई भी भगवान विष्णु की पूजा नहीं करता था। राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था। प्रहलाद ने विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी तो राजा ने क्रोधित होकर अपने पुत्र को मृत्युदंड की सजा सुनाई। राजा के आदेश पर सैनिकों ने उसे जंगली जानवरों के बीच छोड़ा, नदी में डुबो दिया, ऊंचे पर्वत से भी फेंका। लेकिन, भगवान की कृपा से प्रहलाद हर सजा से बच गये। अंत में राजा ने अपनी बहन होलिका की गोद में बिठाकर प्रहलाद को जिंदा जला डालने का आदेश दिया। होलिका को वरदान था कि वह अग्नि में भी भस्म नहीं होगी। लेकिन, प्रभु कृपा से प्रहलाद तो बच गया, मगर होलिका जल गई। उस दिन से होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई।

होलिका दहन का मुहूर्त बृहस्पतिवार, 1 मार्च को शाम 7:40 से 8:50 बजे तक रहेगा।

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