नई दिल्ली. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने जेपी ग्रुप को 15 अप्रैल और 10 मई को 100-100 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया। अदालत में इस मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी। अदालत ने कहा कि 15 अप्रैल को अदालत देखेगी कि उसके आदेश का पालन हुआ या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने जेएएल को आदेश दिए कि वह रिफंड पाने के इच्छुक सभी मकान खरीददारों की परियोजना-दर-परियोजना चार्ट जमा करें, ताकि उन्हें आनुपातिक आधार पर धन वापस किया जा सके। दीपक मिश्रा ने कहा कि जेपी खरीदारों के पैसे पर बैठे नहीं रह सकता। हमें खरीदारों की चिंता है।
इसके साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि रिफंड का विकल्प चुनने वाले मकान खरीददारों को रीयल एस्टेट कंपनी की ओर से ईएमआई भुगतान में डिफॉल्ट का कोई नोटिस न भेजा जाये। जेएएल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसे 2017-2018 में 13,500 फ्लैट के लिए कब्जा प्रमाणपत्र मिले, वहीं आठ प्रतिशत मकान खरीददारों ने रिफंड का विकल्प चुना है। कंपनी ने कोर्ट को यह भी बताया कि उसे 2017-18 में अभी तक 13,500 फ्लैटों के लिए कब्जा प्रमाणपत्र मिले हैं। इससे पहले, नवंबर 2017 में सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायाल ने घर खरीदने वालों को जेपी ग्रुप की तरफ से 2 हजार करोड़ रुपये का रिफंड न दिए जाने को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। तब चीफ जस्टिस ने हल्के लहजे में कहा था, 'अच्छे बच्चे बनकर पैसे जमा कर दो।'
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