होम जाने कौन पार्टी कितने पानी में?

उत्तर प्रदेश

जाने कौन पार्टी कितने पानी में?

जाने कौन पार्टी कितने पानी में?

जाने कौन पार्टी कितने पानी में?

लखनऊ. UP का चुनावी पारा चुनावों की तारीख के साथ ही बढ़ चुका है यहां तमाम अहम पार्टियां अपनी प्रचार की रणनीति को लेकर सक्रिय दिखाई दे रही हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस इस मामले में सबसे पिछड़ती नजर आ रही है और लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने में विफल दिख रही है तो दूसरी तरफ BJP तमाम रैलियों के जरिए लोगों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हुई है। हालांकि प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी अपने परिवार के विवाद से जूझ रही है लेकिन इस दौरान भी सपा का प्रचार तमाम मीडिया के माध्यमों से लगातार हो रहा है और हर किसी के जुबान पर सपा के कुनबे में कलह की चर्चा है। हालांकि BSP चुनाव प्रचार की रणनीति को कुछ अलग ही अंदाज से आगे बढ़ा रही है और मायावती लगातार प्रेस कांफ्रेंस के जरिए ही लोगों के बीच अपना संदेश दे रही है।

पीछे छूट गई कांग्रेस-
UP में सबसे पहले मेगा चुनावी अभियान कांग्रेस ने राहुल गांधी के अगुवाई में की गई थी और 900 किलोमीटर की किसान विकास यात्रा निकाली थी इस दौरान कई जगह पर राहुल गांधी ने खाट सभा की नुक्कड सभा की और किसानों से मुलाकात की लेकिन बावजूद इस मैराथन प्रचार अभियान के कांग्रेस लोगों के बीच अपनी विशेष पहचान बनाने में सफल नही रही है। लेकिन जिस तरह से BJP ने चुनावी अभियान में अपनी पूरी जान झोंकी है उससे अंग्रिम पंक्ति में आकर खड़ी हो चुकी है।

अखिलेश यादव की एक विकासशील छवि -
अखिलेश यादव प्रदेश में विकास के चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं और उन्होंने प्रदेश में कुछ बेहतरीन सड़क डायल 100 एंबुलेंस सेवा लैपटॉप वितरण लखनऊ मेट्रो जैसी योजनाओं से लोगों के बीच अपनी अच्छी पहचान बनाई है यही नहीं जिस तरह से उन्होंने अपने परिवार के खिलाफ मोर्चा लिया है उसने भी उन्हें कुछ हद तक एक सशक्त नेता के तौर पर पहचान मिली है। लेकिन जिस तरह से चुनाव की घोषणा के बाद भी परिवार का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है वह उनकी मुश्किल को संभवतः बढ़ा भी सकता है।

BJP नोटबंदी मुद्दे को भुनाने की कोशिश में -
BJP यूपी में हर संभव कोशिश कर रही है कि वह लंबे समय के बाद प्रदेश में वापसी करना चाह रही है। पार्टी नोटबंदी के फैसले से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है और इस फैसले को भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई के तौर पर लोगों के सामने पेश कर रही है। हालांकि मायावती और अखिलेश यादव समेत कई दल इस फैसले का लगातार विरोध करते आ रहे। लेकिन जिस तरह से एक के बाद एक कई जगहों पर छापेमारी शुरु हुई और करोड़ों की संपत्ति सीज की गई उसने गांव के लोगों को यह संदेश दिया कि अमीरों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है और यह एक पहलू भाजपा के लिए काफी मददगार सा देखा जा रहा है।

मायावती का अलग अंदाज-
वहीं अगर BSP की बात करें तो मायावती बड़ी-बड़ी रैलियों और यात्राओं की बजाए जमीनी स्तर पर अपना अभियान चला रही है और तमाम जगहों पर वह पुराने अंदाज में अपना प्रचार कर रही हैं। एक तरफ जहां सपा और भाजपा के बड़े-बड़े पोस्टर प्रदेश के कई हिस्सों में देखने को मिल जाएंगे तो दूसरी तरफ मायावती के पोस्टर की संख्या अन्य पार्टियों की तुलना में बहुत कम ही मिलेंगे। मायावती मौजूदा प्रचार तंत्र से दूर अलग ही अंदाज में इस चुनाव की तैयारी में जुटी है वह ना सिर्फ अपने पारंपरिक दलित वोट बैंक बल्कि मुसलमानों को भी लुभाने की भरषक प्रयत्न कर रही और इसकी झलक उनके द्वारा जारी उम्मीदवारों की लिस्ट में भी दिखती है। उन्होंने 100 से अधिक मुसलमानों को टिकट देकर सपा से निराश मुस्लिम वोटरों को भी अपनाने की कोशिश की है।

नवीनतम न्यूज़ अपडेट्स के लिए Facebook, Twitter, व Google News पर हमें फॉलो करें और लेटेस्ट वीडियोज के लिए हमारे YouTube चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

Most Popular

(Last 14 days)

Facebook

To Top