एक साथ दो पदों पर बने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या सांसद रहते हुए एक साथ मुख्यमंत्री और उपमुख्मंत्री पद पर कैसे रह सकते हैं?
बता दे कि समाजसेवी संजय शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कोर्ट ने इस सिलसिले में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को समन भेजा है। याचिकाकर्ता ने दाखिल याचिका में कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बतौर सांसद तनख्वाह और बाकी सुविधाएं ले रहे हैं, लिहाजा वो यूपी सरकार में किसी पद पर नहीं रह सकते।
याचिकाकर्ता का कहना है कि सांसद किसी राज्य का मंत्री नहीं बन सकता और यह संविधान के अनुच्छेद 101 (2) का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने अपनी दलील के समर्थन में संसद (अयोग्यता का निवारण) अधिनियम 1959 के प्रावधानों का हवाला दिया है और आदित्यनाथ के साथ केशव मौर्य की नियुक्ति भी रद्द करने की मांग की है। दोनों नेताओं ने 19 मार्च को शपथ ली थी। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद हैं जबकि केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद की फूलपुर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। मौर्य भाजपा की यूपी इकाई के अध्यक्ष भी हैं।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार की बेंच ने याचिका को स्वीकार कर यूपी के एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने मामले पर अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से राय मांगी है। अदालत ने माना कि इस मामले में कोई पिछली मिसाल मौजूद नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 24 मई को होगी।
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