
वाशिंगटन. नव निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में वादा किया था कि वह अगर राष्ट्रपति बने तो फिर अमेरिका-मैक्सिको की सीमा पर दीवार बनवा देंगे। अब राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें ऐसा करने की सलाह मिल चुकी है। यह सलाह अमेरिका में अप्रवासियों के खिलाफ कार्यक्रम चलाने वाले क्रिस विलियम कोबाच ने दी है।
सिर्फ इतना ही नहीं कोबाच ने राष्ट्रपति ट्रंप को मुसलमान देशों से आकर अमेरिका में बसे मुसलमानों की कर रजिस्ट्री करने की भी सलाह दी है। कोबाच कांसास में सेक्रेटरी ऑफ स्टेट हैं और उन्होंने एरिजोना और बाकी जगहों पर अप्रवासियों से जुड़े कड़े कानूनों को तैयार किया था। कोबाच ने ही एक इंटरव्यू में कहा कि ट्रंप के नीति सलाहकारों ने उनसे मुसलमानों की रजिस्ट्री करने के बारे में सलाह मांगी गई थी। कोबाच के बारे में कहा जा रहा है कि वह ट्रंप की टीम का हिस्सा बन सकते हैं। पिछले तीन माह के दौरान कोबाच लगातार फोन पर प्रवासी नीतियों से जुड़े ट्रंप के सलाहकारों से बात करते रहे हैं।
ट्रंप की टीम ने अभी यह नहीं बताया है कि कोबाच का रोल क्या होगा लेकिन माना जा रहा है कि ट्रंप उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। हालांकि ट्रंप किसी भी एडवाइजरी ग्रुप की सिफारिशें मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह अमेरिका में बसे 11 मिलियन ऐसे अप्रवासियों को बाहर निकालेंगे जिनका कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। साथ ही उन्होंने यह बात भी कही थी कि वह अमेरिका में मुसलमानों को दाखिल होने से रोकने के लिए कड़ी जांच प्रक्रिया का प्रावधान करेंगे हैं।
कोबाच वही व्यक्ति हैं जिन्होंने 9/11 आतंकी हमलों के बाद जॉर्ज डब्लूय बुश के न्याय विभाग में रहते हुए नेशनल सिक्योरिट एंट्री-एग्जिट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (NSEERS) को डिजाइन करने में मदद की थी। इस कार्यक्रम के बाद उन देशों जिन्हें अमेरिका ने हायर रिस्क पर रखा था के लोगों को अमेरिका में दाखिल होते समय पूछताछ और फिंगर प्रिंटिंग से गुजरना पड़ता था। 16 वर्ष से ज्यादा की उम्र वाले गैर-अमेरिकी युवाओं को व्यक्तिगत तौर पर सरकारी ऑफिसों में अपना रजिस्ट्रेशन समय-समय पर कराना पड़ता था। ये ऐसे युवा होते थे जो उन देशों से आते थे जहां से अमेरिका को लगातार आतंकी हमलों का खतरा बना रहता था।
इस कानून को अमेरिकी एजेंसी होमलैंड सिक्योरिटी ने वर्ष 2011 में खत्म कर दिया। कुछ संगठनों ने भी इसकी आलोचना की थी और कहा था कि इसके जरिए मुसलमान देशों वाले लोगों को बेवजह निशाना बनाया जा रहा था।
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