मायावती ने अपने बयान में कहा कि कश्मीर की जनता को बीजेपी पर भरोसा नहीं है जब समझ आएगा तो कश्मीरी हमारी तरफ आएंगे मायावती पार्टी संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए राज्यवार समीक्षा कर रही हैं। इसी क्रम में उन्होंने यहां जम्मू-कश्मीर आंध्र प्रदेश व पश्चिम बंगाल के पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय पर समीक्षा करते हुए मायावती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार की गलत नीतियों के कारण वहां की आम जनता के साथ-साथ सेना को भी आंतरिक सुरक्षा के मामले में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वहां के हालात सही नहीं हैं। केंद्र व राज्य सरकारों पर से आम जनता का विश्वास उठता दिख रहा है। राज्य में राजनीतिक शून्यता लगातार बढ़ती ही जा रही है।
मायावती ने कहा जम्मू-कश्मीर आंध्र प्रदेश व पश्चिम बंगाल में भी पार्टी के जनाधार को कैडर के आधार पर तैयार करने की जरूरत है। लोग सांप्रदायिक ताकतों के ‘सबका साथ सबका विकास’ वाले की हकीकत जब अच्छी तरह समझ जाएंगे तब फिर हमारी तरफ ही लौट कर आएंगे। बीएसपी को इन राज्यों में राज्य की पार्टी के रूप में उभारने के लिए भरपूर कोशिश करनी चाहिए।आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सहयोग से अपनाये जा रहे भारतीय जनता पार्टी के हथकंडे देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है। मायावती ने यहां उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य इकाइयों की बैठक में कहा ह्यह्यभाजपा साम दाम दंड भेद आदि हथकंडों को आरएसएस के सहयोग से जिस प्रकार से इस्तेमाल कर रही है उससे देश के लोकतंत्र को ही खतरा पैदा होने लगा है। उन्होंने कहा कि देश में संविधान और लोकतंत्र सही मायने में जिन्दा नहीं रहेगा तो दलितों पिछडों आदि के लिए सत्ता के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे और वे फिर से लाचार मजलूम और गुलाम बनकर रह जाएंगे। मायावती ने उत्तर प्रदेश के शहरी निकाय चुनावों को लेकर पार्टी पदाधिकारियों से चर्चा की और इस बार पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी पर ही चुनाव लडने का फैसला किया । आपको बता दे की बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के हालात सामान्य नहीं हैं। केंद्र व राज्य दोनों ही सरकारों से आम जनता का विश्वास उठ गया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली देशहित से कहीं अधिक राजनीति से प्रेरित है। उन्हें राज्य के हालात सुधारने से ज्यादा अपनी पार्टी का वर्चस्व बढ़ाने की चिंता है।
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