एक वैश्या ने भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को एक दर्द भरा ख़त लिखकर ये गुहार लगई है की मोदी जी उन लड़कियों के बारे में भी कुछ करे जो ज़बरदस्ती इस वैश्या वृत्ति के धंधे में ढकेल दी गयी है. इस वैश्या ने भी अपनी आपबीती सुनाई कि उसने भी एक लड़के से प्रेम किया और उसके साथ भाग गयी घर ,रिश्ते और सब कुछ छोड़कर अकेली उसके साथ चली गई परन्तु उसके बायफ्रेंड ने उसे 60 हज़ार रुपयों में बेंच दिया, जिसे उसके बॉयफ्रेण्ड ने बेचा उस दलाल ने उसे मुंबई के रेड लाइट एरिया में बेच दिया 6 साल तक उससे वेश्यावृत्ति का काम करवाया गया, उसके साथ लगातार रेप होता रहा, अंततः पुलिस की एक रेड के बाद वो उस नरक से बाहर निकल सकी।
उस वैश्या ने आजाद हो जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी को एक ख़त लिखा। जिसमें उसने बाकी सभी लड़कियों की आजादी मांगी है, जिन्हें रोज खरीदा-बेचा जा रहा है और वेश्यावृत्ति से उनका रेप किया जा रहा है।
रोज लड़कियों को ख़रीदा बेचा जाता है, ये तो मेरी किस्मत थी कि मैं उस नरक से बच निकली, लेकिन जाने कितनी ही लड़कियां हैं जिन्हें रोज झासे में फँसाकर प्रताड़ित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी से मेरी दरख्वास्त है कि उनके लिए कुछ करें, अधिकतर लड़कियां शहरों की ओर इसलिए आती हैं क्योंकि ये गरीब हैं इन्हें पैसे चाहिए होते हैं। इन्हें बेचने वाले इनसे कहते हैं कि शहरों मेंतुम्हे अच्छी नौकरी मिल जाएगी। अगर गांवों में ही इन्हें नौकरी मिल जाए तो ये झांसे में न आएं, महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री जी और रोजगार के विकल्प पैदा करें, ये मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है।
मेरा अपना अनुभव है ,मैं जितने दिन कोठे पर रही, मुझे मारा-पीटा गया, रोज कितनी ही बार मेरा रेप किया गया, जानवरों से भी बुरा बर्ताव किया गया।
भारत में लगभग डेढ़ लाख लोग हैं, जिन्हें बेचकर जबरन ‘स्लेव ट्रेड’ यानी बंधुआ मजदूर होने पर मजबूर कर दिया जाता है इसमें लेबर, नौकर और वेश्याएं भी शामिल हैं। अकेले वेश्यावृत्ति में करीब 2 लाख लड़कियां काम कर रही हैं, जिनमें से अधिकतर नाबालिग़ हैं।
आज भले प्रीती एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करती हैं, मगर उन सभी लड़कियों का क्या जो आज भी जबरन इस वेश्यावृति के गंदे जाल में जी रही है, जिनके साथ ना जाने क्या क्या किया जा रहा है जिसकी आप और हां कल्पना भी नही कर सकते है। कल ही हमने हमारी आजादी मनाई मगर इन लड़कियों की आज़ादी का क्या ?
क्या आपको लगता है की जो भी आज़ादी के लिए शहीद हुए थे उन्हें ऐसी आज़ादी चाहिए थी जिसमे जिस्म फरोशी की भी आज़ादी हो ? थोडा सा सजक हो जाईये आज आग पडोसी के घर में है तो कल हमारे घर में भी हो सकती है।
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