
America Attack on Iran: ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले के बाद से मुस्लिम दुनिया में खलबली मच गई है। ओमान, पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे प्रमुख मुस्लिम देशों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। खास बात यह है कि सऊदी अरब, जो अमेरिका का करीबी सहयोगी है, उसने भी इन हमलों का विरोध किया है। सऊदी अरब ने इसे ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है, हालांकि ईरान और सऊदी अरब के बीच लंबे समय से तनातनी रही है।
सऊदी अरब का बयान: तनाव कम करने की जरूरत
सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान जारी करते हुए कहा, “हम इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान पर हुए हमले से बेहद दुखी हैं। खासकर अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने की कार्रवाई निंदनीय है।” सऊदी अरब ने 13 जून को भी ईरान पर हमले का विरोध किया था और इस बार भी उसने वैश्विक समुदाय से इस संकट को बढ़ने से रोकने की अपील की है।
उन्होंने कहा, “मध्य एशिया में शांति बहाल करने के हर प्रयास की जरूरत है, ताकि क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।” सऊदी अरब का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि वह क्षेत्र में बढ़ते तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक रास्ता अपनाने की वकालत कर रहा है।
इजरायल और अमेरिका का समर्थन: ईरान पर हमला साहसिक निर्णय
दूसरी ओर, इजरायल और अमेरिका इस हमले को लेकर खुलकर एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं। इजरायली प्रधानमंत्री ने अमेरिकी हमले की तारीफ करते हुए इसे “राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का साहसिक निर्णय” बताया और कहा कि यह “इतिहास को बदलने वाला कदम” साबित हो सकता है।
इजरायल ने 13 जून को ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर भी हमले किए थे, जिसके बाद दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी। ईरान लगातार इजरायल पर हमले कर रहा है, और अमेरिकी हमले के बाद भी ईरान ने इजरायल के 16 शहरों पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं, जिनमें कई लोग घायल हो गए हैं।
अमेरिका और इजरायल का सैन्य आक्रमण
अमेरिका और इजरायल के अधिकारियों का कहना है कि ‘अमेरिकन स्टील्थ बॉम्बर’ और 30,000 पाउंड वजनी ‘बंकर-बस्टर बम’ ने ईरान के गहरे भूमिगत परमाणु केंद्रों को नष्ट कर दिया है। यह ‘बंकर-बस्टिंग बम’ विशेष रूप से जमीन के नीचे स्थित ठिकानों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इजरायल के पास इतने ताकतवर हथियार नहीं हैं, जो ईरान के इन परमाणु ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर सकें, लिहाजा अमेरिका को इस कार्रवाई में सीधे तौर पर शामिल किया गया।
ईरान की प्रतिक्रिया: लगातार हमले
ईरान ने इस हमले के बाद भी अपनी प्रतिक्रिया में किसी प्रकार की नरमी नहीं दिखाई। उसने इजरायल और अमेरिका के खिलाफ जवाबी हमले जारी रखे, जिसमें तेल अवीव समेत कई इजरायली शहरों को निशाना बनाया गया। ईरान के सरकारी समाचार एजेंसी ‘इरना’ के मुताबिक, अमेरिका ने ईरान के फोर्दो, इस्फहान और नतांज परमाणु केंद्रों पर हमले किए हैं।
वर्तमान स्थिति को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि ईरान, इजरायल और अमेरिका के बीच युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। ईरान और इजरायल के बीच एक महीने से भी अधिक समय से संघर्ष जारी है, और अब अमेरिका का सीधा हस्तक्षेप इसे और भी गहरा कर सकता है। इस पर मुस्लिम दुनिया की प्रतिक्रियाएं अलग-अलग आ रही हैं, और यह संकट क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति के लिए एक नई चुनौती बन चुका है।
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