होम AX-4 Mission: शुभांशु शुक्ला के साथ स्पेस में क्यों जा रहा है टार्डिग्रेड? जानिए इस जीव की अनोखी क्षमता

समाचारदेश

AX-4 Mission: शुभांशु शुक्ला के साथ स्पेस में क्यों जा रहा है टार्डिग्रेड? जानिए इस जीव की अनोखी क्षमता

AX-4 Mission: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का Axiom-4 मिशन में चयन और उनकी अंतरिक्ष यात्रा 2025 में होने वाली है, जो न केवल भारत, बल्कि पूरे दुनिया के लिए गौरव का विषय बन गया है। लेकिन इस मिशन की एक खास बात यह है कि शुभांशु शुक्ला अपने साथ टार्डिग्रेड नामक एक छोटे से जीव...

AX-4 Mission: शुभांशु शुक्ला के साथ स्पेस में क्यों जा रहा है टार्डिग्रेड? जानिए इस जीव की अनोखी क्षमता

AX-4 Mission: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का Axiom-4 मिशन में चयन और उनकी अंतरिक्ष यात्रा 2025 में होने वाली है, जो न केवल भारत, बल्कि पूरे दुनिया के लिए गौरव का विषय बन गया है। लेकिन इस मिशन की एक खास बात यह है कि शुभांशु शुक्ला अपने साथ टार्डिग्रेड नामक एक छोटे से जीव को भी अंतरिक्ष में लेकर जा रहे हैं।

टार्डिग्रेड: एक जीव, जो किसी भी परिस्थिति में जिंदा रह सकता है

टार्डिग्रेड, जिसे वॉटर बियर या मॉस पिगलेट भी कहा जाता है, एक सूक्ष्म जीव है। यह आकार में बेहद छोटा होता है, लेकिन इसकी जिंदगी की ताकत और कठोर परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता ने इसे वैज्ञानिकों के लिए विशेष बना दिया है। टार्डिग्रेड इतनी चरम स्थितियों में भी जीवित रह सकता है, जिनसे सामान्य जीवों का बच पाना असंभव होता है।

शुभांशु और उनकी टीम इस अद्भुत जीव को अंतरिक्ष में इस उद्देश्य से ले जा रहे हैं ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि यह जीव किस तरह से अंतरिक्ष की शून्यता, गुरुत्वहीनता, और रेडिएशन जैसी खतरनाक स्थितियों में सर्वाइव करता है

टार्डिग्रेड की खासियतें:

  • यह -200°C की ठंड और 150°C की गर्मी भी सह सकता है।
  • यह सैकड़ों गुना ज्यादा रेडिएशन भी सह सकता है।
  • टार्डिग्रेड 30 सालों से ज्यादा समय तक बिना खाए-पिए रह सकता है।

यह जीव समुद्रों में पाया जाता है और इसकी खोज 1773 में योहन गेट्जा नामक जीव वैज्ञानिक ने की थी। इसके आश्चर्यजनक जीवित रहने की क्षमता के कारण यह अंतरिक्ष के शोध में अत्यधिक महत्व रखता है।

क्यों ले जा रहे हैं शुभांशु शुक्ला इसे अंतरिक्ष में?

शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम यह अध्ययन करना चाहती है कि कैसे टार्डिग्रेड जैसे जीव अंतरिक्ष के सबसे खतरनाक तत्वों—जैसे शून्यता, रेडिएशन, और गुरुत्वहीनता—में जीवित रह सकते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि टार्डिग्रेड के DNA मरम्मत तंत्र और जीववैज्ञानिक गुणों का अध्ययन करके मानव जीवन को अंतरिक्ष में अधिक सुरक्षित और टिकाऊ बनाया जा सकता है।

भविष्य के लिए एक क्रांतिकारी कदम

यदि टार्डिग्रेड जैसे जीव इतने कठोर माहौल में जीवित रह सकते हैं, तो मानव जीवन के लिए भी यही गुण अत्यधिक फायदेमंद हो सकते हैं। यह अध्ययन न केवल अंतरिक्ष मिशनों के लिए सहायक होगा, बल्कि भविष्य में मानवों के लिए अंतरिक्ष में जीवन को संभव बनाने में भी योगदान कर सकता है।

Axiom-4 मिशन: भारत की गर्व की बात

Axiom-4 मिशन एक कमर्शियल मिशन है, जिसमें शुभांशु शुक्ला और उनके तीन साथी प्राइवेट एस्ट्रोनॉट्स के रूप में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक यात्रा करेंगे। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक प्रयोग है, बल्कि यह भारत के लिए गर्व का विषय है क्योंकि इसमें भारतीय वैज्ञानिक नेतृत्व कर रहे हैं।

शुभांशु शुक्ला का यह प्रयोग अंतरिक्ष में मानव जीवन को ज्यादा सुरक्षित और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।

नवीनतम न्यूज़ अपडेट्स के लिए Facebook, Twitter, व Google News पर हमें फॉलो करें और लेटेस्ट वीडियोज के लिए हमारे YouTube चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

Most Popular

(Last 14 days)

-Advertisement-

Facebook

To Top