
अयोध्या विवाद पर सुनवाई करते हुए SC ने शुक्रवार को इस मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया है। अयोध्या मामले की मध्यस्थता के लिए तीन सदस्यीय पैनल गठित किया गया है जो 8 हफ्तों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जो फैसला दिया है उसके अनुसार कुछ अहम बातें निम्न प्रकार हैं :-
अब 3 सदस्यीय पैनल सुलझाएगा अयोध्या विवाद -
1. अयोध्या मामले की मध्यस्थता के लिए SC ने रिटायर्ड जस्टिस खलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है, जिसमें आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और श्रीराम पंचु भी शामिल हैं।
2. इस पैनल को 15 मार्च से 15 मई तक आठ सप्ताह के भीतर मध्यस्थता प्रक्रिया समाप्त करने की उम्मीद है। जिस वक्त देश लोकसभा चुनाव के परिणामों की उम्मीद कर रहा होगा, ये समझौता परिणाम भी उसी वक्त मिलेगा ऐसा कयास लगाए जा रहे हैं।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says
— ANI (@ANI) March 8, 2019
mediation process has to start within four weeks and to be completed within eight weeks. pic.twitter.com/zWY82T09Xx
मध्यस्थता की प्रक्रिया अयोध्या से की जाएगी शुरू -
3. SC द्वारा गठित पैनल को चार सप्ताह के अंदर मध्यस्थता प्रक्रिया पर पहली रिपोर्ट अदालत को सौंपनी होगी।
4. मध्यस्थता की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश के अयोध्या में शुरू की जाएगी जहां विवादित स्थल मौजूद है।
5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू होने पर मीडिया रिपोर्टिंग पूरी तरह से बैन होगी, मध्यस्थता की ये कार्यवाही पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court in its order also said that the reporting of the mediation proceedings in media will be banned. https://t.co/QpjYDyemmS
— ANI (@ANI) March 8, 2019
SC को पैनल सौंपेगा रिपोर्ट -
इसके पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 6 मार्च को सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद इस विवाद के स्थायी समाधान के लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त और निगरानी में मध्यस्थता को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। निर्मोही अखाड़े के अलावा अन्य हिंदू पक्षों ने मध्यस्थता का विरोध किया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने मध्यस्थता पर अपनी सहमति जताई थी।
कोर्ट ने कहा था कि हमें विवाद के निपटारे की फ़िक्र है -
6 मार्च की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि था, हमें अयोध्या मामले की गंभीरता का पता है और हम आगे मामले को देख रहे हैं। यह उचित नहीं कि अभी कहा जाए कि मध्यस्थता का नतीजा कुछ नहीं निकलेगा। जस्टिस बोबडे ने कहा कि ये 1500 स्क्वायर फीट का मामला नहीं है, ये धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला है। जस्टिस बोबडे ने कहा था कि अतीत में क्या हुआ, उस पर हमारा नियंत्रण नहीं है। हम मौजूदा विवाद के बारे में समझते हैं। हमें सिर्फ विवाद के निपटारे की फ़िक्र है।
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