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भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 के हीरो ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का निधन

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का निधन हो गया। महावीर चक्र से सम्मानित चांदपुरी ने युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे। उनकी वीरता और शौर्य पर ही बॉलीवुड की मशहूर फिल्म बॉर्डर बनी है. बॉर्डर फिल्म में चांदपुरी का किरदार सनी देओल ने निभाया था।

भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 के हीरो ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का निधन

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का निधन हो गया। महावीर चक्र से सम्मानित चांदपुरी ने युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे। उनकी वीरता और शौर्य पर ही बॉलीवुड की मशहूर फिल्म बॉर्डर बनी है. बॉर्डर फिल्म में चांदपुरी का किरदार सनी देओल ने निभाया था। 77 साल के कुलदीप सिंह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जंग लड़ रहे थे। आज उन्होंने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। 

1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान मेजर रहे चांदपुरी ने राजस्थान के लोंगेवाला की प्रसिद्ध लड़ाई में महज 120 जवानों के साथ, पाकिस्तानी टैंकों के हमले का डटकर सामना किया था और उन्हें खदेड़ दिया था। टैंकों के खिलाफ वीरता से खड़े होने और दुश्मन को पीछे हटने के लिए मजबूर करने के लिए उन्हें महावीर चक्र (एमवीसी) से सम्मानित किया गया। 

उन्होंने लोंगावाला की लड़ाई में भारतीय सेना का नेतृत्व किया था. इस लड़ाई के बाद ही उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। बाॅलीवुड की फिल्म 'बाॅर्डर' लोंगावाला के युद्ध पर ही बनी हुई है।  गौरतलब है कि उन्होंने एक साल के लिए संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन बल में भी अपनी वीरता का प्रदर्शन किया था। वह गाजा (मिस्र) में पोस्टेड रहे। 

कुलदीप सिंह चांदपुरी के बारे में ये कहा जाता है कि युद्ध के समय अगर उन्होंने अपनी सूझबूझ और वीरता का प्रदर्शन नहीं किया होता तो आज भारत का नक्शा कुछ और हो सकता था। पाकिस्तान की सेना रामगढ़ होते हुए जैसलमेर तक पहुंच जाती अगर चांदपुरी पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए आगे नहीं बढ़ते। भारतीय सेना ने चांदपुरी के नेतृत्व में ही पाकिस्तान के 12 टैंकों को रात तक तबाह कर दिया था. जबकि उस समय सेना को अतिरिक्त सहायता की जरूरत थी और इसके लिए बार-बार सेना की अन्य टुकड़ियों से संपर्क भी किया जा रहा था. लेकिन मदद आने की राह ताकने की बजाय चांदपुरी ने बखूबी अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाया और दुश्मन सेना को करारा जवाब दिया। 

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