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हनुमान जी के इन गुणों को अपनाकर जीवन के हर क्षेत्र में हो सकते हैं सफल

प्रभु श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी का जीवन बहुत ही प्रेरणादायक है। हनुमान जी के कुछ खास गुण को बताएंगे जिन्हें अपनाकर आप जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकते हो। ये गुण आपके जीवन के हर क्षेत्र में काम आएंगे।

हनुमान जी के इन गुणों को अपनाकर जीवन के हर क्षेत्र में हो सकते हैं सफल

हनुमान जी के इन गुणों को अपनाकर जीवन के हर क्षेत्र में हो सकते हैं सफल, आपकी जिंदगी बदल जाएगी-

प्रभु श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी का जीवन बहुत ही प्रेरणादायक है। हनुमान जी के कुछ खास गुण को बताएंगे जिन्हें अपनाकर आप जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकते हो। ये गुण आपके जीवन के हर क्षेत्र में काम आएंगे।

लक्ष्य प्राप्ति तक आराम नही-

जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका की तरफ जा रहे थे। तो समुंद्र ने उनसे मेनाक पर्वत पर आराम करने के लिए कहा। लेकिन हनुमान जी ने मना कर दिया। लेकिन आमंत्रण का मन रखने के लिए हनुमान जी मेनाक पर्वत को छू कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ गए।इससे यह सीखने को मिलता हैं कि जब तक अपने लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये हमे रुकना नही चाहिए।

समस्या नही समाधान-

जब लक्ष्मण जी युद्ध भूमि में मूर्छित हो गए थे तो हनुमान जी को संजीवनी बूटी लानी थी। वो वहां चले तो गए लेकिन संजीवनी बूटी पहचानते नहीं थे। तो वह पूरा का पूरा पहाड़ उठाकर ले लाये। सामने समस्या थी लेकिन समाधान उन्होंने ढूंढ लिया।

शक्ति का उचित इस्तेमाल-

हनुमान चालीसा में लिखा हैं कि,

सूक्ष्म रूप धरी सियंहि दिखावा,
विकट रूप धरी लंक जरावा

माता सीता के सामने वो सुक्ष्म रूप में गए, क्योकि वह एक माँ के सामने बेटे की तरह गए। वही लंका जलाने के लिए उन्होंने विशाल रूप धारण किया।

इस तरह जहां जितना जरूरी हो उतना ही शक्ति अथवा ज्ञान का प्रदर्शन करें। फोकट का दिखावा न करे।

अडिग आदर्श-

तुलसीदास जी कहते हैं:-

ब्रह्मा अस्त्र तेंहि साधा, कपि मन कीन्ह विचार।
जौ न ब्रहासर मानऊं, महिमा मिटाई अपार।।

जब मेघनाद ने हनुमान जी पर ब्रह्मास्त्र चलाया तो उन्होंने उसका आघात सह लिया। वो चाहते तो इसका तोड़ निकाल सकते थे। लेकिन वो ब्रह्मास्त्र का मान कम नही करना चाहते थे।
इसलिए अपने आदर्शों का सन्मान करें और उन पर अडिग रहें।

चतुरता-

जब हनुमान जी समुन्द्र पार कर रहे थे तो बीच में सुरसा ने रास्ता रोक लिया। हनुमान जी समय खराब नही करना चाहते थे, तो हनुमान जी ने सुरसा के मुंह में जाकर अपना विराट आकार बना लिया। फिर अचानक से सूक्ष्म रूप करके उसके मुंह से बाहर आ गए। इस चतुराई से खुश होकर सुरसा ने रास्ता छोड़ दिया। हमे भी व्यर्थ मामलो में पड़ने के बजाय चतुराई से उनसे दूर हो जाओ। कभी कभी बल नही, बुद्धि को काम मे लेना पड़ता हैं।

बेहतरीन संवाद कौशल-

जब माता सीता अशोक वाटिका में थी। तो हनुमान जी संदेश लेकर माता सीता के वहां गए। लेकिन सीता उनको पहचानती नही थी। तो उन्होंने पहले विश्वास नही किया। लेकिन हनुमान जी ने अपने संवाद कौशल से उनको विश्वास दिला ही दिया की वो राम के ही दूत हैं।

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