
भोजपुरी फिल्म 'जइबे सजनवा के देश' से 2006 में फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाली अभिनेत्री संगीता तिवारी आज 30 से अधिक भोजपुरी और पांच हिन्दी फिल्में कर चुकी हैं। संगीता तिवारी ने बातचीत में बताया कि पारिवारिक पृष्ठभूमि फिल्मों की होने की वजह से फिल्मों में प्रवेश करने के लिए तो उन्हे ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा लेकिन मुख्य नायिका की भूमिका में स्वयं को साबित करने और जनता की पसंद बनने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी।
वह आज भी चल रही है। भोजपुरी और हिन्दी के अलावा राजस्थानी, गुजराती, मराठी और तेलुगु सिनेमा में काम कर चुकी संगीता तिवारी को सबसे ज्यादा संतुष्टि हिंदी फिल्मों में काम करके ही मिलती है और वे अब हिंदी फिल्मों में जगह बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं। एक्टिंग में स्वयं को स्थापित करने का श्रेय संगीता अपने कथक नृत्य के अनुभव को देती हैं।
उनका मानना है नृत्य करने वाले को एक्टिंग सीखने की कभी जरूरत नहीं होती। कथक में भाव भंगिमा, हाथ पैर के मूवमेंट ही एक्टिंग के लिए पर्याप्त हैं। माधुरी दीक्षित की फेन संगीता मानती हैं कि रियलिटी शो टीवी और फिल्मी दुनिया में प्रवेश करने में काफी मददगार साबित होते हैं। यदि आपके भीतर टेलेंट है तो इन शोज के माध्यम से आप आसानी से जगह बना सकते हैं।
संगीता की कुछ लोकप्रिय भोजपुरी फिल्मों में बलम परदेसी, रामपुर के लक्ष्मण, धुरंधर और इंसाफ हैं। हिंदी फिल्मों में अंकुश और यारा प्रमुख हैं।
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