
Fleet Support Ship: भारतीय नौसेना अपनी 'ब्लू वॉटर नेवी' रणनीति को और मजबूत बनाने जा रही है। अब नौसेना के ऑपरेशन नॉनस्टॉप, लंबी दूरी तक और अधिक प्रभावी ढंग से किए जा सकेंगे, क्योंकि जल्द ही फ्लीट सपोर्ट शिप (Fleet Support Ship - FSS) नौसेना में शामिल होने वाले हैं। ये शिप ऐसे समय में तेल, हथियार, पानी और जरूरी सामान मुहैया कराएंगे जब वॉरशिप समंदर में ड्यूटी पर होगा।
क्या है फ्लीट सपोर्ट शिप और क्यों हैं बेहद जरूरी?
- ये शिप युद्धपोतों को समंदर में रहते हुए लॉजिस्टिक सपोर्ट देने के लिए बनाए जा रहे हैं।
- जैसे ही किसी वॉरशिप को ईंधन, हथियार, खाना, तकनीकी सहायता की जरूरत पड़ेगी, FSS तुरंत उसकी सप्लाई करेगा।
- अब युद्धपोतों को बार-बार बंदरगाह पर लौटने की जरूरत नहीं होगी, जिससे ऑपरेशन की निरंतरता बनी रहेगी।
तीसरे सपोर्ट शिप का निर्माण शुरू
- 9 जुलाई 2025 को तीसरे फ्लीट सपोर्ट शिप की 'कील लेइंग' (नींव रखने की रस्म) चेन्नई के पास कट्टुपल्ली स्थित एलएंडटी शिपयार्ड में पूरी की गई।
- इससे पहले दो FSS का निर्माण पहले ही शुरू हो चुका है:
- पहला: हिंदुस्तान शिपयार्ड, विशाखापत्तनम में
- दूसरा: एलएंडटी शिपयार्ड में
FSS की मुख्य विशेषताएं
- वजन: 40,000 टन से ज्यादा
- गति: लगभग 20 नॉट प्रति घंटा
- क्षमता:
- एंटी-सर्फेस और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर
- क्लोज-इन वेपन सिस्टम
- onboard वर्कशॉप और क्रिटिकल सपोर्ट सिस्टम
- शिप पूरी तरह स्वदेशी हैं और ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनाए जा रहे हैं।
समयसीमा और डिलीवरी प्लान
- कुल 5 फ्लीट सपोर्ट शिप बनने हैं
- पहला शिप 2027 में नौसेना को मिलेगा
- बाकी चार शिप हर 10-12 महीने में एक-एक करके नौसेना को सौंपे जाएंगे
- पूरा प्रोजेक्ट 8 साल में पूरा होगा
क्या बदलेगा इससे?
- अब एयरक्राफ्ट कैरियर बैटल ग्रुप समेत सभी प्रमुख नौसेना फ्लीट्स लंबे समय तक मिशन पर रह सकेंगे
- नौसेना की स्ट्रैटजिक ऑपरेशनल रेंज और सस्टेनेबिलिटी में भारी इजाफा होगा
- भारत की समुद्री ताकत में नया अध्याय जुड़ेगा
'ब्लू वॉटर नेवी' की ओर एक और बड़ा कदम
FSS के आने से भारत की नौसेना किसी भी महासागर में लंबे समय तक ऑटोनोमस तरीके से ऑपरेट कर सकेगी—चाहे वो हिंद महासागर हो, दक्षिण चीन सागर, या फारस की खाड़ी।
फ्लीट सपोर्ट शिप्स भारतीय नौसेना के लिए गेमचेंजर साबित होंगे। ये केवल तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी भारत को एक सशक्त समुद्री शक्ति बनने में मदद करेंगे।
भारत अब सिर्फ कोस्टल डिफेंस नहीं, बल्कि समुद्र की गहराइयों में अपना प्रभुत्व दिखाने की ओर बढ़ रहा है।
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