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चीन ने को मालदीव में चल रहे राजनीतिक संकट के मद्देनजर वहां के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की तरफ से भारत से सैन्य दखल की लगातार मांग के बीच एक बार फिर मालदीव को बाहरी दखल के खिलाफ आगाह किया है। चीन ने भारत को आंखें दिखाते हुए चेतावनी दी कि मालदीव में मौजूदा स्थिति वहां का आतंरिक मामला है, जिसे "देश के तमाम दलों के बीच बातचीत के जरिए" उचित तरीके से हल किया जाना चाहिए |
चीन की तरफ से जारी बयान में कहा गया, "हमें मालदीव की सरकार और वहां के लोगों की बुद्धिमत्ता पर यकीन है और उनके पास मौजूदा समस्या का सही तरीके से सामना करने और देश में कानून का शासन स्थापित करने की क्षमता है।" भारत स्थित चीनी दूतावास की तरफ से जारी यह बयान मोहम्मद नशीद के उन आरोपों के जवाब में है जिनमें उन्होंने चीन पर मालदीव में जमीनों पर कब्जा करने की बात कही थी। पिछले सप्ताह हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में नशीद ने कहा था कि वह चीन के द्वारा जमीन कब्जाने की गतिविधियों से निपटने के लिए इंटरनैशनल कन्वेंशन का आह्वान करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि चीन ने मालदीव के द्वीपसमूहों में से 17 छोटे द्वीपों पर कब्जा कर लिया है। नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने नशीद पर राजनीतिक उद्देश्यों के तहत इस तरह की टिप्पणी करने का आरोप लगाया है। मालदीव के साथ अपने सहयोग को व्यवहारिक बताते हुए दूतावास ने नशीद पर हमला किया और उनके बयानों को "झूठा" और "बेबुनियाद" बताया। नशीद की पार्टी मालदीवियन डेमोक्रैटिक पार्टी के मुताबिक चीन के ज्यादातर निवेश और प्रॉजेक्ट्स में पारदर्शिता की कमी है।
चीन ने अपने बयान में यह भी कहा है कि नशीद जब मालदीव के राष्ट्रपति थे, उस वक्त भी चीन ने वहां कुछ अहम प्रॉजेक्ट्स को लॉन्च किया था, ऐसे में "जमीन कब्जाने" के आरोपों के पीछे उनके कुछ खास राजनीतिक उद्देश्य हैं।
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