अफगानिस्तान: भारत के शासक चंद्रगुप्त मौर्य ने बिना युद्ध की रणनीतियों का प्रयोग किए ही अफगानिस्तान को जीत लिया था। अफगानिस्तान पर कोई भी अभी तक कब्जा करने में सफल नहीं हो सका है। ब्रिटेन अमेरिका से लेकर रूस और अमेरिका तक पिछले कई दशकों से अफगानिस्तान पर कब्जे की कोशिशों में लगे हुए हैं। अभी तक कोई भी अपनी इस कोशिश में सफल नहीं हो सका है। अब तालिबान फिर से इस देश पर हावी हो गया है और उसने अपना कब्जा कर लिया है। पूरे देश में दहशत और डर की स्थिति है। लेकिन आज हम आपको उस भारतीय राजा के बारे में बताने जा रहें हैं जिसने बिना किसी खून बहाए ही अफगानिस्तान को जीत लिया था।
चंद्रगुप्त मौर्य ने अफगानिस्तान जीतकर भारत में मिला लिया था-
ये तो सभी को पता है कि अफगानिस्तान पर कोई भी अभी तक कब्जा करने में सफल नहीं हो सका है। मगर भारत के शासक चंद्रगुप्त मौर्य ने बिना युद्ध की रणनीतियों का प्रयोग किए ही अफगानिस्तान को जीत लिया था और भारत की सीमा में मिला लिया था। इतिहासकार इस घटना को किसी भारतीय राजा की पहली बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर भी देखते हैं। इतिहासकारों के अनुसार भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते आज के नहीं बल्कि कई सदी पुराने हैं। भारत और अफगानिस्तान को सिंधु घाटी सभ्यता से भी जोड़कर देखा जाता है।
जस्टिन और ग्रीक-रोमन इतिहासकार प्लूटार्क ने भारतीय शासक चंद्रगुप्त मौर्य और अलेक्जेंडर के बीच रिश्तों के बारे में बताया है। अलेक्जेंडर के सेनापति सेल्युकस ने एक बार मौजूदा अफगानिस्तान जो तब कंधार हुआ करता था, को जीत लिया था और पश्चिमी भारत के सरहद तक धमक दिखा दी थी। ऐसे में चंद्रगुप्त मौर्य भी देश की सीमा की रक्षा के लिए वहां पर पहुंचे थे। इसी दौरान दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया। यह युद्ध एक संधि या समझौते के साथ खत्म हो सका था। इस संधि के तहत 305 ईसा पूर्व में सेल्युकस ने चंद्रगुप्त मौर्य को अफगानिस्तान सौंप दिया था। इस जंग के बाद मौर्य वंश और प्राचीन ग्रीक साम्राज्य के बीच कूटनीतिक रिश्ते बन गये थे।
चंद्रगुप्त मौर्य ने दिए थे 500 हाथी दान-
इतिहासकारों के मुताबिक ग्रीक साम्राज्य ने कंधार के अलावा अफगानिस्तान के दूसरे इलाके और भारत पर चंद्रगुप्त का शासन स्वीकार कर लिया था। इसी दोस्ती के बदले चंद्रगुप्त ने महावतों के साथ 500 हाथी, मुलाजिम, कुछ सामान और अनाज यूनान जिसे अब ग्रीस कहते हैं, वहां पर भेजा था। यूनान के राजदूत मेगास्थनीज को मौर्य के दरबार में नियुक्त किया गया था। मेगास्थनीज ने चंद्रगुप्त के कार्यकाल पर किताब ‘इंडिका’ लिखी है जो बहुज लोकप्रिय हुई थी। इस किताब में ही उस समय की सारी जानकारी मौजूद है। चंद्रगुप्त मौर्य के पोते महान सम्राट अशोक ने भी अफगानिस्तान पर शासन किया था। सम्राट अशोक की बदौलत ही अफगानिस्तान में बौद्ध धर्म का प्रचार और प्रसार सम्भव हुआ था।
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