होम बच्चों को बचपन से ही विश्व एकता व विश्व शान्ति के संस्कार दें- वक्ताओं की आम राय

राज्यउत्तर प्रदेश

बच्चों को बचपन से ही विश्व एकता व विश्व शान्ति के संस्कार दें- वक्ताओं की आम राय

22वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन आज उप-मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, कानून व न्यायमंत्री बृजेश पाठक एवं प्रदेश विधानसभा के डेप्युटी स्पीकर नितिन अग्रवाल ने विश्व के सभी राष्ट्रप्रमुखों से अपील की कि वे अपने-अपने देश में बच्चों को बचपन

बच्चों को बचपन से ही विश्व एकता व विश्व शान्ति के संस्कार दें- वक्ताओं की आम राय

लखनऊ, 21 नवम्बर। सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा ऑनलाइन आयोजित किये जा रहे ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 22वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के तीसरे दिन आज उप-मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, कानून व न्यायमंत्री बृजेश पाठक एवं प्रदेश विधानसभा के डेप्युटी स्पीकर नितिन अग्रवाल ने विश्व के सभी राष्ट्रप्रमुखों से अपील की कि वे अपने-अपने देश में बच्चों को बचपन से ही विश्व एकता व विश्व शान्ति के संस्कार देने की व्यवस्था करें। हैती के पूर्व प्रधानमंत्री जीन हेनरी सिएन्ट व मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति कासम उतीम समेत अन्य वक्ताओं की भी आम राय रही कि बच्चों को शुरू से ही एकता व शान्ति के विचार देने चाहिए। इस अवसर पर दक्षिण अफ्रीका के कॉन्स्टीट्यूशनल कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति रिचर्ड गोल्डस्टोन को ‘महात्मा गाँधी अवार्ड’ एवं अमेरिका के सीनियर जज न्यायमूर्ति मार्क लॉरेन्स वोल्फ को ‘मदर टेरेसा अवार्ड’ से वर्चुअल प्रजेन्टेशन के माध्यम से सम्मानित किया गया।

इस ऐतिहासिक सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि डा. दिनेश शर्मा, उप-मुख्यमंत्री, उ.प्र. ने कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के माध्यम से सी.एम.एस. सारे विश्व के बच्चों के भविष्य को सुरक्षित व सुखमय करने का अनूठा अभियान चला रहा है। कानून व न्यायमंत्री श्री बृजेश पाठक ने अपने संबोधन में कहा कि ‘वसुधैव कुटम्बकम’ की भावना ही हमारी असली ताकत है।

म्यांमार सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति म्यो टिंट ने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना महामारी ने यह अहसास करा दिया है कि सह-अस्तित्व ही अंतिम सत्य है। थाईलैण्ड के एडमिनिस्ट्रेटिव कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति श्री प्रतोप कलायसुमन ने कहा कि थाईलैण्ड में सरकार व सामाजिक संस्थाएं हाथ से हाथ मिलाकर कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा, यूक्रेन सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुश्री गान्ना रोन्स्का, अजरबैजान के न्यायाधीश न्यायमूर्ति

अलादीन जफारोव, स्लोवेनिया सप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति दमीजान फ्लोरजेमी, कोस्टारिका की न्यायाधीश न्यायमूर्ति रोजा मारिया एकान, पेरू के सुपीरियर कोर्ट के जज न्यायमूर्ति डा. जोसेफा वी इजागा पेलग्रिन एवं जापान की शान्ति संस्था ‘ब्योको शिंको काई’ की चेयरपरसन सुश्री मसामी सायोन्जी समेत देश-विदेश के अनेक न्यायविद्ों व कानूनविद्ों ने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये।

सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने बताया कि सम्मेलन के चौथे व अन्तिम दिन का उद्घाटन कल 22 नवम्बर को उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य करेंगे, साथ ही लखनऊ विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. आलोक कुमार राय भी सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करेंगे। सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि कल 22 नवम्बर को अपरान्हः 1.15 बजे प्रेस कान्फ्रेन्स का आयोजन किया गया है, जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन में मुख्य न्यायाधीशों के चार दिनों के चिन्तन, मनन व मंथन का सारांश ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ जारी किया जायेगा, जिसे सम्मेलन के संयोजक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी जारी करेंगे।

नवीनतम न्यूज़ अपडेट्स के लिए Facebook, Twitter, व Google News पर हमें फॉलो करें और लेटेस्ट वीडियोज के लिए हमारे YouTube चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

Most Popular

(Last 14 days)

Facebook

To Top