
हिमाचल प्रदेश के डीजीपी को लिखी शिकायत में जितेंद्र की कजिन ने लिखा है कि उनके फुफेरे भाई ने उनके साथ नशे की हालत में रेप किया। जितेंद्र पर लगे आरोप में लिखा है, 'मेरे पिता की बहन के बेटे रवि कूपर एक प्रोफेशनल एक्टर हैं, उन्हें जितेंद्र के नाम से भी जाना जाता है। जब मैं 18 एज में थी, तब मैं उनसे फैमिली के साथ एक बार मिली थी या शायद साल में दो बार मिली होगी। कभी कभी-कभार ही हम सीधे एक-दूसरे से मिलते थे।
ये जनवरी 1971 की बात है। जब मैं 18 साल की थी और जितेंद्र 28 साल के। उन्होंने मेरे पिता से कहकर मुझे उस जगह बुलाया, जहां उनकी फिल्म की शूटिंग चल रही थी। मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी कि मुझे अकेला ही वहां बुलाया गया है। ये सब मेरी जानकारी के बगैर हुआ।मि. कपूर अपने दो सहयोगियों और ड्राइवर के साथ आए थे। इसके बाद एक समूह के साथ कार में मुझे दिल्ली से शिमला ले जाया गया। इस दौरान रास्ते में मुझसे किसी ने बात नहीं की। जब हम शिमला पहुंचे तो सीधे मुझे होटल रूम ले जाया गया, जिसमें दो अलग-अलग बेड थे। जितेंद्र ने कहा कि वे बाहर घूमने जा रहे हैं, वापस आ जाएंगे। मैं थकी हुई थी और सोने चली गई। देर रात जब जितेंद्र लौटे तो मैं दीवार की तरफ मुंह करके सो रही थी। वे बिस्तर पर आए और मेरे साथ दुष्कर्म की कोशिश करने लगे। मैंने अपने आप को बचाने की कोशिश की। उनके मुंह से शराब की तेज बदबू आ रही थी। मैंने उन्हें अपने से दूर करने की कोशिश की, लेकिन वे गंदी हरकतें करते रहे। मैं दीवार और अपने कजिन के बीच फंस गई थी। उन्होंने जबर्दस्ती मुझे दबोच लिया। मेरे पास बचने का कोई रास्ता नहीं था। वे लगातार मेरे साथ जबर्दस्ती करते रहे। इसके बाद वे अपने बिस्तर पर चले गए और हम खामोशी के साथ उस रात सो गए।
अगले रोज कजिन ने मुझसे बात नहीं की। उन्होंने ड्राइवर से कुछ कपड़े खरीदकर मुझे देने को कहा और मुझे दिल्ली वापस छोड़ने की बात भी कही। यकीन कीजिए कि ये सब बातें सत्य हैं। उम्मीद है कि भारतीय कानून के अनुसार मेरी पहचान को उजागर नहीं किया जाएगा। जितेंद्र की कथित कजिन ने यह भी कहा कि 'मुझे इस घटना को बताने में सालों लग गए। इसकी हिम्मत मुझे इन दिनों चल रहे फेमिनिस्ट अवेयरेस कैंपेन जैसे कि #METOO की वजह से आई है। इन आंदोलन की वजह से दुनिया की लाखों पीड़ितों को अपनी बात सामने रखने की हिम्मत मिली है। परिवार और रिश्तेदारों द्वारा यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली पीड़ितों में अब उम्मीद की किरण जागी है।
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