#MeToo अभियान के तहत यौन दुर्व्यवहार के आरोप में घिरे विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर ने पहले इस पर सफाई दी फिर मुकदमा दर्ज करवाया और आखिरी में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
अकबर ने बुधवार को अपने इस्तीफे में विदेश राज्य मंत्री पद की जिम्मेदारी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को धन्यवाद देते हुए कहा कि वह अपने ऊपर लगे आरोपों के लिए निजी तौर पर अदालत में मुकदमा लड़ेंगे। उन्होंने यौन दुर्व्यवहार के आरोपों को झूठा बताया।
अकबर ने #MeToo अभियान पर सवाल उठाते हुए कहा- ‘‘आम चुनाव के कुछ महीने पहले ये तूफान क्यों खड़ा किया गया है? क्या कोई एजेंडा है? मैंने निजी तौर न्याय पाने के लिए लडऩे का फैसला किया है और इसलिए मैं विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे रहा हूं।’’
उन्होंने कहा कि इन झूठे, बेबुनियाद और बेकार के आरोपों से उनकी प्रतिष्ठा और साख को अपूरणीय क्षति हुई है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस विवाद से वह बहुत आहत हुए हैं। विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि एक महिला पत्रकार ने यह अभियान एक साल पहले एक पत्रिका में लेख के माध्यम से शुरू किया था।
इससे पहले केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि महिलाओं की प्रत्येक शिकायत को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा की थी। इससे पूर्व कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने तथा महिला पत्रकार संगठनों के अलावा महिलाओं से जुड़ी कई अन्य संस्थाओं ने भी अकबर के इस्तीफे की मांग की थी।
अकबर ने अपने खिलाफ यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाने वाली एक महिला पत्रकार के विरुद्ध मानहानि का मामला दायर किया है। उन पर लगभग 20 महिला पत्रकारों ने यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है।
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