
वाशिंगटन. डोनाल्ड ट्रंप अब आधिकारिक तौर पर अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बन गए हैं। शपथ लेने के बाद उन्होंने कई अहम बातें कहीं और इनमें से ही एक यह थी कि इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करना। कहीं न कहीं यह अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी का विषय के तौर पर देखा जा रहा है।
नए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा हम इस धरती से चरमपंथी इस्लामिक आतंकवाद का नामों निशान मिटा कर रहेंगे। ट्रंप ने यह बात ISIS समेत उन देशों के लिए भी कही है जहां पर आतंकवाद और आतंकी ताकतों को पनाह दी जाती है। कुछ दिनों पहले ट्रंप प्रशासन में रक्षा सचिव के तौर पर नामित जेम्स मटीस ने कहा था कि पाक को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके सरजमीं पर आतंकवाद न पनपने पाए।इसके अलावा ट्रंप ने पूर्व जनरल माइकल फ्लिन को अमेरिका का अगला राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है। फ्लिन पाक पर काफी कड़ा रवैया रखते हैं। खुद राष्ट्रपति ट्रंप भी पाकिस्तान को एक आतंकवाद को बढा़वा देने वाला देश करार दे चुके हैं। ऐसे में अपनी इनॉग्रेशन स्पीच में इस्लामिक आतंकवाद और सीमाओं को सील करने वाली ट्रंप की बात पाक की तरफ भी एक बड़ा इशारा समझा जा सकता है।
पाकिस्तान भी ट्रंप के आने से कहीं न कहीं थोड़ा सा घबराया जरूर है। उसकी घबराहट का ही नतीजा था कि पाक ने एक प्रपोगेंडा जारी किया और एक रीडआउट तक रिलीज कर डाला। पाक की ओर से दावा किया गया कि ट्रंप ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को कॉल किया। उन्होंने पाक को एक शानदार देश बताया और पाक का दौरा करने का वादा शरीफ से किया। इससे अलग 17 जनवरी 2016 को ट्रंप ने ट्विटर पर लिखा था यह बात बहुत सीधी है: पाकिस्तान हमारा दोस्त नहीं है। हमनें पाकिस्तान को बिलियन डॉलर्स दिए हैं और हमें क्या मिला? बेइज्जती और धोखा और इससे भी बहुत बुरा। ट्रंप ने हमेशा से अमेरिका में बसे मुसलमानों को देश में आने की पाबंदी की बात की है। ट्रंप ने चरमपंथी इस्लामिक आतंकवाद फैलाने वाली उन सभी जगहों से मुसलमानों के अमेरिका आने पर पाबंदी की बात की थी जो आतंकवाद का गढ़ हैं जिसमें पाकिस्तान भी शामिल था।
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