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Visavadar Bypoll Results 2025: आप को मिली दूसरी बार जीत, केजरीवाल में लौटी ऊर्जा

Visavadar Bypoll Results 2025: गुजरात की विसावदर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने एक बार फिर अपनी पकड़ मजबूत की है।

Visavadar Bypoll Results 2025: आप को मिली दूसरी बार जीत, केजरीवाल में लौटी ऊर्जा

Visavadar Bypoll Results 2025: गुजरात की विसावदर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने एक बार फिर अपनी पकड़ मजबूत की है। पंजाब के लुधियाना वेस्ट के साथ-साथ गुजरात की इस अहम सीट पर जीत हासिल कर ‘आप’ ने न सिर्फ वापसी के संकेत दिए हैं, बल्कि राज्य में कांग्रेस के विकल्प के रूप में उभरने की ओर भी कदम बढ़ा दिए हैं।

‘आप’ को मिली दूसरी बार जीत, केजरीवाल में लौटी ऊर्जा

विसावदर सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गोपाल इटालिया ने जीत दर्ज की है। यह वही सीट है, जिसे 2022 में भी आप ने जीता था। इस जीत ने पार्टी के भीतर नया उत्साह भर दिया है और अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर गुजरात में संभावनाएं दिखने लगी हैं।

उल्लेखनीय है कि यह उपचुनाव उस समय जरूरी हो गया था जब पूर्व विधायक भूपेंद्र भायानी ने दिसंबर 2023 में न सिर्फ पार्टी से इस्तीफा दिया, बल्कि भाजपा में शामिल हो गए। उनके दल-बदल के चलते यह सीट रिक्त हो गई थी और 19 जून 2025 को उपचुनाव कराया गया।

गोपाल इटालिया पर दांव, केजरीवाल की ‘पटेल पिच’

गोपाल इटालिया, जो पाटीदार समुदाय से आते हैं और पूर्व में ‘आप’ की गुजरात इकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं, को पार्टी ने रणनीतिक रूप से मैदान में उतारा। किसान आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभा चुके इटालिया, पहले गुजरात पुलिस में कांस्टेबल भी रह चुके हैं—जिससे उनकी ज़मीनी पकड़ और जनविश्वास दोनों को मजबूती मिलती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस तरह 2015 के पाटीदार आंदोलन से हार्दिक पटेल उभरे थे, उसी तरह अब गोपाल इटालिया को भी ‘आप’ पाटीदार राजनीति का नया चेहरा बनाने की तैयारी में है।

भाजपा को झटका, कांग्रेस हाशिए पर

इस उपचुनाव में कुल 16 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और ‘आप’ के बीच ही माना जा रहा था। भाजपा ने कीरीट पटेल को टिकट दिया था, जो जूनागढ़ भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष और पाटीदार समुदाय के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। जीत सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय मंत्री सी.आर. पाटिल और मंत्री हर्ष संघवी तक को प्रचार में उतारा गया, लेकिन मतदाताओं ने ‘आप’ को तरजीह दी।

कांग्रेस ने नितिन रणपरिया को टिकट दिया, लेकिन पार्टी का कमजोर संगठन और मतदाता आधार इस चुनाव में भी उनके लिए बड़ा संकट साबित हुआ। गौर करने वाली बात यह भी है कि कांग्रेस और ‘आप’ में सीट साझा करने की कोई बातचीत नहीं हुई थी, जिससे वोटों का बिखराव हुआ।

2027 के लिए संदेश?

‘आप’ की यह जीत न सिर्फ पार्टी के लिए मनोबल बढ़ाने वाली है, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए एक संकेत भी है कि गुजरात में मतदाता बदलाव के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सकते हैं। खासकर सौराष्ट्र जैसे इलाकों में पाटीदार और किसान वर्ग के बीच ‘आप’ की स्वीकार्यता बढ़ती दिख रही है।

गोपाल इटालिया की यह जीत उन विधायकों के लिए भी संदेश है जो दल-बदल का रास्ता अपनाते हैं। इटालिया ने अपने प्रचार में पूर्व विधायक भूपेंद्र भायानी के भाजपा में जाने को बड़ा मुद्दा बनाया था और जनता को विश्वास दिलाया कि ‘आप’ विश्वासघात के खिलाफ है।

क्या कांग्रेस का सफाया तय है?

गुजरात में पहले से कमजोर होती कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव और मुश्किलें खड़ी कर सकता है। ‘आप’ अब उस स्थान को भरने की कोशिश कर रही है, जो कभी कांग्रेस के पास था। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि 2027 तक समीकरण कैसे बदलते हैं.

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