पंजाब नेशनल बैंक से जुड़े करीब 11300 करोड़ रूपये के धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय ( ED) ने मशहूर ज्वेलर नीरव मोदी व अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया हैं। माना जा रहा है कि इस घोटाले को अंजाम देने वाले नीरव मोदी हैं व उनके साथी हैं।
इस खबर के बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में तेजी से गिरावट देखने को मिली। खबरों के अनुसार कुछ अमीर लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए इस फर्जा लेन-देन को अंजाम दिया गया। इस घोटाले में पंजाब नेशनल बैंक के कर्मचारियों का हाथ भी हैं। इस धोखाधड़ी के चलते यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और एक्सित बैंक को भी बहुत नुकसान हुआ है।
नीरव मोदी और उसके साथियों ने अपनी तीन कंपनियों डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट और स्टैलर डायमंड के जरिए योजना बनाई थी। इन तीनों कंपनियों के नाम पर इन्होंने पीएनबी से कहा कि उन्हें हांगकांग से सामान मंगाना है। सामान मंगाने के लिए उन्होंने पीएनबी से एलओयू जारी करने की मांग की, उन्होंने एलओयू हांगकांग में मौजूद इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक के नाम पर जारी करने की गुजारिश की।
एलओयू का मतलब होता है कि जो सामान खरीदा जा रहा है उसके पैसे देने की गारंटी बैंक देता है। पीएनबी ने हांगकांग में मौजूद इलाहाबाद बैंक को 5 और एक्सिस बैंक को 3 लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी किए। हांगकांग से करीब 280 करोड़ रूपए का सामान इंपोर्ट किया गया।
इस घोटाले में पीएनबी के डिप्टी मैनेजर का हाथ
पीएनबी के एक डेप्युटी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी ने कथित तौर पर स्विफ्ट मेसेजिंग सिस्टम का दुरुपयोग किया। बैंक इसी सिस्टम से विदेशी लेनदेन के लिए LOUs के जरिए दी गई गारंटीज को ऑथेंटिकेट करते हैं। इन्हें ऑथेंटिकेशनों के आधार पर कुछ भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं ने फॉरेक्स क्रेडिट दी थी।
कैसे पता चला इस घोटाले का
खबरों के अनुसार 8 फर्जी लेटर ऑफ क्रेडिट नीरव मोदी, मेहुल चोस्की एवं अन्य साथियों को दिये गये थे। जिसमें से 5 लेटर इलाहाबाद बैंक व 3 लेटर एक्सिस बैंक को दिए गये। इन लेटरों के आधार पर इलाहाबाद बैंक व एक्सिस बैंक ने नीरव एवं उसके साथियों को विदेश से सामान खरीदने में आर्थिक रूप से सहायता की। बाद में जब इन बैंको ने पैसा भुगतान पीएनबी बैंक से मांगा तो जानकारी मिली कि इस लेन-देन से जुड़ी कोई भी जानकारी बैंक के सिस्टम में उपलब्ध ही नहीं थी। इसके बाद यह धोखाधड़ी सामने आया।
कौन हैं नीरव मोदी
नीरव मोदी बेल्जियम के शहर ऐंटवर्प में हीरे का व्यापार करने वाले परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वह कारोबारी माहौल में ही पले-बढ़े। वह 19 वर्ष की उम्र में अपने मामा और गीतांजली जेम्स के चेयरमैन मेहुल चौकसी के पास मुम्बई हीरा का कारोबार के बारे में जानकारी लेने व सीखने के लिए आये। इसके बाद उन्होंने सन 1999 में हीरों के व्यापार के लिए फायरस्टार डायमंड नाम की कंपनी स्थापित की और कई अंतराष्ट्रीय कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया जिससे उनका नेटवर्क काफी बड़ा हो गया। इसी के चलते उन्होने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग में भी हाथ अजमाया।
नीरव मोदी की तीन कंपनिया डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपर्ट एवं सतिलै डायमंड है। इनकी भारत के अलावा रूस, अर्मेनिया और दक्षिण अफ्रीका में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं। मोदी के साथ इनके बड़े भाई, पत्नी एवं व्यापारिक साथी मेहुल चोकसी भी इस पीएनबी घोटाले में सम्मिलित हैं। इस घोटाले के सामने आते हैं नीरव मोदी भारत छोड़कर विदेश भाग गये हैं, इनकी कुल सम्पत्ति करीब 11.2 हजार करोड़ रूपये है। इनकी कंपनी की ब्रांड एम्बेस्डर जानी-मानी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा रह चुकी हैं।
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