न तो सुन सकती है और न ही बोल सकती है, वित्तीय हालात के लिहाज से भी वह इतनी अच्छी नहीं है लेकिन तमाम बाधाओं के बावजूद वह विदेश में चैस खेलने जाती है और भारत का झंडा विदेशी धरती पर भी बुलंद कर के वतन वापस आती है। बात हो रही है जालन्धर की मूक-बधिर चैस खिलाड़ी मल्लिका हांडा की जो बिना कोचिंग के आर्मेनिया में हुई मूक-बधिर चैस प्रतियोगिता में अपनी कैटेगरी में विश्व चैम्पियन बनी है।
जालन्धर में पहुंचने पर ‘पंजाब केसरी’ टीम के साथ इशारों-इशारों में बातचीत के दौरान मल्लिका ने समझाया कि वह हर चैस प्रतियोगिता खेलने जाना चाहती है लेकिन पैसे की कमी उसका रास्ता रोक देती है। मूक-बधिर होने के चलते उसे चैस खेलने अन्य शहरों में जाते वक्त अपनी मां को साथ ले जाना होता है जिस कारण काफी खर्च होता है लेकिन आय के लिए न तो उसके पास कोई नौकरी है और न ही अब तक उसे किसी कम्पनी ने सहयोग दिया है। मल्लिका ने कहा कि उनका सपना ग्रैंड मास्टर बनना है। इससे पहले मल्लिका ने पिछले साल मंगोलिया में हुई एशियन चैम्पियनशिप में अपनी कैटेगरी में पहला स्थान हासिल किया था।
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