
राजधानी में यमुना के किनारे विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन करने को लेकर आर्ट ऑफ लिविंग के आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। एनजीटी ने कहा कि रविशंकर द्वारा ट्राइब्यूनल की एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट पर लगाए गए पूर्वाग्रह के आरोप चौंकाने वाले हैं। आर्ट ऑफ लिविंग संस्था को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उसका रवैया गैरजिम्मेदाराना है और वह जो मन में आए वह नहीं बोल सकते। मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
मंगलवार को रविशंकर ने इस मुद्दे पर फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में कहा था कि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव से अगर पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचा है तो इसके लिए सरकार और एनजीटी को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। रविशंकर ने एनजीटी पर नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को अनदेखा करने का आरोप लगाया था। मामले की सुनवाई के दौरान आर्ट ऑफ लिविंग को एनजीटी ने फटकार लगाई। एनजीटी ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह रविशंकर के बयान की विस्तृत जानकारी देते हुए आवेदन दें ताकि उसे रिकॉर्ड पर लिया जा सके।एनजीटी की एक्सपर्ट कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग के सांस्कृतिक कार्यक्रम से यमुना फ्लडप्लेंस को पहुंचे नुकसान की भरपाई में 13.29 करोड़ रुपए खर्च होंगे। कमिटी का कहना है कि इसमें लगभग 10 साल लग जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक यमुना के दाएं किनारे पर लगभग 120 हेक्टेयर (300 एकड़) और बाएं किनारे पर लगभग 50 हेक्टेयर (120 एकड़) जमीन को भारी नुकसान हुआ है।
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