उत्तरी निजेर के सहारा रेगिस्तान में एक गाड़ी खराब हो जाने से लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिला। इस वजह से मौके पर ही 44 लोगों की मौत हो गई। रेड क्रॉस ने मीडिया को बताया कि सफर के दौरान इन यात्रियों की गाड़ी खराब हो गई। रेगिस्तान में पानी उपलब्ध नहीं था। इसलिए प्यास से तड़पकर इन यात्रियों की मौत हो गई। वहीं यह भी बताया कि उनमें से 6 यात्रियों ने दिरकू नामक गांव पहुंचकर पानी पीया और अपनी जान बचाई। ये यात्री महिलाएं हैं। मरने वालों में कई बच्चे भी थे। वे प्यास बर्दाश्त नहीं कर सके। नाइजीरिया के एक आॅनलाइन अखबार ने बताया कि ये लोग लीबिया जा रहे थे। यात्री घाना और नाइजीरिया से थे। बीच रास्ते में प्यास के कारण उनकी मौत हो गई। उनके शवों की पहचान के लिए भी कोई नहीं आया।
विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय प्रवासी लीबिया जाने के लिए यही रास्ता चुनते हैं। इसके बाद वे यूरोप जाना चाहते हैं। बीच में सहारा का यह रेगिस्तान बहुत बड़ा इम्तिहान लेता है। यहां सबसे बड़ी समस्या पानी की है। तेज धूप में अगर किसी को वक्त पर पानी न मिले तो उसके जिंदा रहने की संभावना काफी कम रह जाती है। इसके अलावा, अगर रेगिस्तान में गाड़ी खराब हो जाए और किसी की मदद न मिले तो ऐसे हालात में भी जिंदा बचना बहुत मुश्किल है। इस रास्ते से प्रवासियों को ले जाने वाले ट्रकों में काफी लोग सवार रहते हैं। इतनी बड़ी तादाद में जा रहे लोगों के लिए पानी का इंतजाम अहम चुनौती होती है। वहीं ये बहुत कम पानी लेकर जाते हैं, क्योंकि ज्यादा मात्रा में पानी रखने के लिए जगह नहीं मिल पाती। पूर्व में भी यहां कई लोगों की मौत प्यास के कारण हो चुकी है।
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