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कमरा नंबर 2102 के मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल समेत कई गिरफ्तार : जानिये पूरा सच

सीबीआइ ने शुक्रवार को सेना मुख्यालय में तबादला रैकेट का भंडाफोड़ किया था, इसमें कई वरिष्ठ अधिकारियों के रिश्वत लेकर अधिकारियों के तबादलों में गड़बड़ी करने की बात सामने आयी थी

कमरा नंबर 2102 के मामले में  लेफ्टिनेंट कर्नल समेत कई गिरफ्तार : जानिये पूरा सच

नयी दिल्ली : सीबीआइ ने शुक्रवार को सेना मुख्यालय में तबादला रैकेट का भंडाफोड़ किया था, इसमें कई वरिष्ठ अधिकारियों के रिश्वत लेकर अधिकारियों के तबादलों में गड़बड़ी करने की बात सामने आयी थी |सीबीआइ ने तबादलों में अनियमितताओं के आरोप में यहां सेना मुख्यालय में पदस्थ लेफ्टिनेंट कर्नल रंगनाथन सुव्रमणि मोनी, कार्मिक विभाग, सेना मुख्यालय, हैदराबाद में मौजूद एक सैन्य अधिकारी पुरुषोत्तम, बेंगलुरु में मौजूद सेनाधिकारी एस सुभाष तथा कथित बिचौलिया गौरव कोहली के खिलाफ मामला दर्ज किया था, प्रथमिकी में एक ब्रिगेडियर का भी नाम है |

गिरोह में एक पूर्व गृह राज्य मंत्री का पीए विद्यासागर हिरमुख भी है, सोलापुर के किशोर माली को गिरोह का सरगना बताया जा रहा है,जहा मुंबई क्राइम ब्रांच ने किशोर माली, विद्यासागर हिरेमुख, रवींद्र सिंह यादव और विशाल ओम्बले को एयरपोर्ट के पास स्थित सहारा स्टार होटल से गिरफ्तार कर लिया गया है, आरोपियों के पास से 6.70 लाख रुपये भी बरामद हुए हैं | डीसीपी वीरेंद्र मिश्रा के अनुसार, मामले में सोलापुर के डीसीपी नामदेव चव्हाण शिकायतकर्ता हैं, करीब एक महीना पहले किशोर ने सोलापुर में डीसीपी चव्हाण के सरकारी क्वार्टर में मुलाकात कर मुंबई के आसपास पोस्टिंग करवाने का लालच दिया था |

क्या है कमरा नंबर 2102 का सच?
सेना में ट्रांसफर रैकेट के पूरे मामले में होटल का कमरा नंबर 2102 काफी अहम है, पिछले दिनों जब पहली बार किशोर ने डीसीपी नामदेव चव्हाण को मुंबई में पोस्टिंग करानेवाले अपने रसूखदार दोस्त से मिलवाने के लिए बुलवाया था, तब उनकी मीटिंग कमरा नंबर 2102 में हुई थी, दिल्ली में केंद्र सरकार में पहुंच रखने का दावा करनेवाले उस शख्स ने तब अपना नाम शर्मा बताया था | 31 मई को दूसरी मीटिंग के लिए किशोर ने डीसीपी चव्हाण को फिर से सहारा स्टार होटल के कमरा नंबर 2102 में ही बुलाया, लेकिन डीसीपी को घंटों लॉबी में इंतजार करना पड़ा इससे डीसीपी को शक हुआ, इसी दौरान डीसीपी को होटल में क्राइम ब्रांच के एसीपी और सीनियर पीआइ दिखाई दिए , उन्होंने अपने मन की शंका से दोनों अफसरों को अवगत कराया, पुलिस जब कमरा नंबर 2102 में पहुंची, तो चारों आरोपी वहीं मिल गये |

शर्मा की तलाशी ली गयी, तो उसके पास से मिले आधार कार्ड पर रवींद्र सिंह यादव लिखा मिला, सोलापुर में एक ठेकेदार के तौर पर अपना करियर शुरू करनेवाला किशोर राजनेताओं का करीबी बन कुछ ही साल में बड़ा आदमी बन गया, उसने अपने फेसबुक पेज पर भूतपूर्व गृह मंत्री छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल के साथ कई फोटो पोस्ट कर रखे थे, छगन भुजबल वर्तमान में मनी लांडरिंग केस में जेल में बंद हैं, पुलिस अब यह पता करने में जुटी है कि इस गिरोह ने अब तक कितने सरकारी महकमों में ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल खेला है और गिरोह में और कौन-कौन लोग शामिल हैं?

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