आलिया भट्ट कई फिल्मों में दिखा चुकी हैं कि वे कितनी बेहतरीन एक्ट्रेस हैं। "राज़ी" में वे अपने स्तर को और ऊंचा उठाती हैं। एक कठिन भूमिका को उन्होंने चैलेंज की तरह लिया और शानदार तरीके से अभिनीत किया। उन्होंने अपने किरदार को उतनी ही मासूमियत और मैच्योरिटी दी जितनी की जरूरत थी। कई दृश्यों में उनका अभिनय लाजवाब है।
फिल्म "राज़ी" बताती है कि सरहद पर सेना के जवान तो अपना काम बखूबी कर रहे हैं, लेकिन कई गुमनाम एजेंट्स ऐसे काम कर जाते हैं जिनको वाहवाही भी नहीं मिलती। सेहमत अपने देश के लिए तन-मन-धन तक न्यौछावर कर देती है। सेहमत का जब राज खुलता है तो उसका पति पूछता है कि क्या वह कभी "सच" भी थी। उसका इशारा उन अंतरंग क्षणों की ओर था कि क्या वह बिस्तर पर भी ड्यूटी निभा रही थी? सेहमत के पास इसका कोई जवाब नहीं होता।
सेहमत को आखिर में अहसास होता है कि उसका जंग में सब कुछ लूट गया और उसे कोई फायदा नहीं हुआ। वह अपने बेटे को भारतीय सेना का हिस्सा बनाती है जिसका पिता पाकिस्तान सेना में था। इस तरह बातें जहां सोचने पर मजबूर करती हैं, कई तरह के सवाल पैदा करती हैं, वहीं स्पाय ड्रामा पूरी तरह बांध कर रखता है।
फिल्म की कहानी और प्रस्तुतिकरण इतना सशक्त है कि आप फिल्म में डूबे रहते हैं। सेहमत के खुफिया जानकारी जुटाने वाले सीन इतने बेहतरीन तरीके से फिल्माए गए हैं कि आप पलक भी नहीं झपक सकते। भवानी अय्यर और मेघना गुलजार द्वारा लिखा गया स्क्रीनप्ले कई टर्न्स और ट्विस्ट्स लिए हुए है और फिल्म सरपट गति से भागती है।
निर्देशक के रूप में मेघना गुलजार की इस बात के लिए तारीफ करनी होगी कि इस जासूसी ड्रामे को उन्होंने रियल रखने की कोशिश की है। आमतौर पर फिल्मों में जिस तरह से जासूस का ग्लैमराइज्ड वर्जन दिखाया जाता है उससे यह फिल्म कोसों दूर है। मेघना ने फिल्म में बेहतरीन तरीके से थ्रिल पैदा किया है जिसे हम उनकी पिछली फिल्म "तलवार" में भी देख चुके हैं। थ्रिल के साथ-साथ उन्होंने सेहमत के किरदार से दर्शकों को शानदार तरीके से कनेक्ट किया है जो कि आसान बात नहीं थी।
फिल्म में एक-दो बातें खटकती भी हैं जैसे इतने भरे-पूरे परिवार में सेहमत सारा काम बहुत आसानी से करती है। खुफिया जानकारियों वाली फाइल को घर के लोग बड़ी आसानी से टेबल पर ही रख देते हैं। कॉम्बेट ट्रेनिंग लेने वाली सेहमत स्टूल पर चढ़ने में लड़खड़ाती है। लेकिन फिल्म की पकड़ इतनी मजबूत है कि दर्शकों का ध्यान गलतियों पर नहीं जाता।
एक और सवाल उठता है कि इतने हाई रेंक आर्मी ऑफिसर्स अपने परिवार की भारतीय बहू पर शक क्यों नहीं करते? दरअसल सेहमत अपनी मासूमियत से सभी का दिल जीत लेती हैं और जब तक वे उस पर शक करते वह अपना काम कर चुकी थी।
फिल्म में विक्की कौशल, जयदीप अहलावत, रजत कपूर, शिशिर शर्मा, आरिफ ज़कारिया, सोनी राज़दान, अमृता खानविलकर सहित सारे कलाकारों का अभिनय बेजोड़ है। सिनेमाटोग्राफी और सम्पादन शानदार है।
बैनर : जंगली पिक्चर्स, धर्मा प्रोडक्शन्स
निर्माता : विनीत जैन, करण जौहर, हीरू यश जौहर, अपूर्वा मेहता
निर्देशक : मेघना गुलज़ार
संगीत : शंकर-एहसान-लॉय
कलाकार : आलिया भट्ट, विक्की कौशल, जयदीप अहलावत, रजत कपूर, शिशिर शर्मा, आरिफ ज़कारिया, सोनी राज़दान, अमृता खानविलकर
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 20 मिनट
रेटिंग : 4/5
सभी को ये फिल्म देखनी चाहिए I
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